Lab Par Naat e Pak Ka Naghma Lyrics – Hindi Lyrics
लब पर नात-ए-पाक का नग़मा कल भी था और आज भी है
मेरे नबी से मेरा रिश्ता कल भी था और आज भी है।
और किसी जानिब क्यूं जाएं और किसी को क्यूं देखें
अपना सब कुछ गुम्बद-ए-ख़ज़रा कल भी था और आज भी है।
मेरे नबी से मेरा रिश्ता कल भी था और आज भी है
पस्त वो कैसे हो सकता है जिसको ह़क़ ने बुलन्द किया
दोनों जहां में उनका चर्चा कल भी था और आज भी है।
मेरे नबी से मेरा रिश्ता कल भी था और आज भी है
फ़िक्र नहीं है हमको कुछ भी, दुख की धूप कड़ी तो क्या
हम पर उनके फ़ज़्ल का साया कल भी था आज भी है।
मेरे नबी से मेरा रिश्ता कल भी था और आज भी है
बतला दो गुस्ताख़-ए-नबी को ग़ैरत-ए-मुस्लिम ज़िन्दा है
दीन पे मर मिटने का जज़्बा कल भी था आज भी है।
मेरे नबी से मेरा रिश्ता कल भी था और आज भी है
जिसके फै़ज़ से बंजर सीनों ने शादाबी पाई है
मौज में वो रह़मत का दरिया कल भी था और आज भी है।
मेरे नबी से मेरा रिश्ता कल भी था और आज भी है
जिन आंखों से तैबा देखा वो आंखें बेताब हैं फिर
इन आंखों में एक तक़ाज़ा कल भी था और आज भी है।
मेरे नबी से मेरा रिश्ता कल भी था और आज भी है
सब हो आए उनके दर से, जा ना सका तू एक सबीह
ये के इक तस्वीर-ए-तमन्ना कल भी था और आज भी है।
मेरे नबी से मेरा रिश्ता कल भी था और आज भी है
Lab Par Naat e Paak Ka Nagma Naat Lyrics by Owais Raza Qadri
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