तेरे इश्क़ की इन्तहा चाहता हूं कव्वाली लिरिक्स
Tere Ishq ki Intaha Chahta Hoon Qawwali Lyrics in Hindi
क़व्वाल: उस्ताद राहत फतेह अ़ली ख़ान
शायर: हज़रत अल्लामा इक़बाल
| English Lyrics |
नाला है बुलबुल-ए-शोरीदा तेरा ख़ाम अभी
अपने सीने में इसे और ज़रा थाम अभी
पुख़्ता होती है अगर मसलेहत-अंदेश हो अक़्ल
इश्क़ हो मसलेहत-अंदेश तो है ख़ाम अभी
बे ख़तर कूद पड़ा आतिश-ए-नमरुद में इश्क़
अक़्ल है महवे-तमाशा-ए-लब-ए-बाम अभी
इश्क़ फर्मूदा-ए-क़ासिद से सबक ग़ाम-ए-अमल
अक्ल समझी ही नहीं मानी-ए-पैग़ाम अभी
शेवा-ए-इश्क़ है आज़ादी-ए-दहरा-शोबी
तू है ज़ुन्नरी-ए-बुतख़ाना-ए-अय्याम अभी
तेरे इश्क़ की
तेरे इश्क़ की इन्तहा चाहता हूं
तेरे इश्क़ की इन्तहा चाहता हूं(कोरस)
तेरे इश्क़ की इन्तहा चाहता हूं
तेरे इश्क़ की इन्तहा चाहता हूं(कोरस)
मेरी सादगी देख
मेरी सादगी देख क्या चाहता हूं!
मेरी सादगी देख क्या चाहता हूं!(कोरस)
तेरे इश्क़ की इन्तहा चाहता हूं
तेरे इश्क़ की इन्तहा चाहता हूं (कोरस)
आ..
तेरे इश्क़ की इन्तहा चाहता हूं (कोरस)
तेरे इश्क़ की इन्तहा इन्तहा इन्तहा चाहता हूं
तेरे इश्क़ की इन्तहा चाहता हूं (कोरस)
तेरे इश्क़ की इन्तहा…. चाहता हूं
तेरे इश्क़ की इन्तहा चाहता हूं (कोरस)
तेरे इश्क़ में … तेरे इश्क़ में …
तेरे इश्क़ में … तेरे इश्क़ में …(कोरस)
तेरे इश्क़ में …
इश्क़ तेरी इन्तहा, इश्क़ मेरी इन्तहा
तू भी अभी ना-तमाम, में भी अभी ना-तमाम
तेरे इश्क़ में … तेरे इश्क़ में …
आ..
तेरे इश्क़ में … तेरे इश्क़ में …(कोरस)
अगर हो इश्क़ तो है कुफ्र भी है मुसलमानी
न हो तो मर्दे-मुसलमां भी काफ़िर-ओ-ज़ंदीक
तेरे इश्क़ में … तेरे इश्क़ में …
बनाया इश्क़ ने दरिया, न पैदा करा मुझको
ये मेरी ख़ुद-निगहदारी मेरा साहिल न बन जाए
तेरे इश्क़ में … तेरे इश्क़ में …
तेरे इश्क़ में … तेरे इश्क़ में …(कोरस)
तेरे इश्क़ में … तेरे …(कोरस)
रुलाती है मुझे रातों को, ख़ामोशी सितारों की
निराला इश्क़ है मेरा, निराले मेरे नाले हैं
तेरे इश्क़ में … तेरे इश्क़ में …(कोरस)
आ…
तेरे इश्क़ में … तेरे इश्क़ …(कोरस)
इश्क़ दम-ए-जिब्रईल, इश्क़ दिल-ए-मुस्तुफा
इश्क़ ख़ुदा का रसूल, इश्क़ ख़ुदा का कलाम
तेरे इश्क़ में …
आ…
तेरे इश्क़ में … तेरे …(कोरस)
अक्ल ओ दिल-ओ-निगाह का मुरशिद-ए-अव्वलीं है इश्क़
इश्क़ न हो तो शरा-ओ-दीन, बुतकदा-ए-तसव्वुरात
सिदके-ख़लील भी है इश्क़, सब्र-ए-हुसैन भी है इश्क़
मार्का-ए-वजूद में बद्र-ओ-हुनैन भी है इश्क़
तेरे इश्क़ में … तेरे इश्क़ …(कोरस)
जमाल-ए-इश्क़-ओ-मस्ती नै-नवाज़ी
जमाल-ए-इश्क़-ओ-मस्ती नै-नवाज़ी
जलाल-ए-इश्क़-ओ-मस्तई बे-न्याज़ी
कमाल-ए-इश्क़-ओ-मस्ती ज़र्फ-ए-ह़ैदर
ज़वाल-ए-इश्क़-ओ-मस्ती हर्फ़-ए-राज़ी
तेरे इश्क़ में … तेरे इश्क़ …(कोरस)
आ..
तेरे इश्क़ में … तेरे इश्क़ …(कोरस)
आ….
तेरे इश्क़ में … तेरे इश्क़ में …(कोरस)
कभी आवारा-ओ-बेखानमा इश्क़
कभी शाह-ए-शाहा नौशेरवां है इश्क़
कभी मैदान में आता है ज़िरह-पोश
कभी उरयां-ओ-बेतेग-ओ-सनां इश्क़
तेरे इश्क़ में … तेरे इश्क़ में …
तेरे इश्क़ में … तेरे …(कोरस)
आ..
तेरे इश्क़ में … तेरे …(कोरस)
कभी तन्हाई-ए-कोह-ओ-दमन इश्क़
कभी सोज-ओ-सुरूर-ओ-अंजमुन इश्क़
कभी सरमाया-ए-मेहराब-ओ-मिम्बर
कभी मौला-आली-ख़ैबर-शिकन इश्क़
तेरे इश्क़ में … तेरे इश्क़ में …(कोरस)
तेरे इश्क़ की इन्तहा चाहता हूं
तेरे इश्क़ की इन्तहा चाहता हूं
मेरी सादगी देख
मेरी सादगी देख, क्या चाहता हूं!
तेरे इश्क़ की इन्तहा चाहता हूं
तेरे इश्क़ की इन्तहा चाहता हूं
ये जन्नत मुबारक रहे ज़ाहिदों को
ये जन्नत मुबारक रहे…. ज़ाहिदों को
ये जन्नत मुबारक रहे ज़ाहिदों को (कोरस)
ये जन्नत मुबारक रहे ज़ाहिदों को (कोरस)
उम्मीद-ए-हूर ने सब कुछ सिखा रखा है वाइज़ को
ये हज़रत देखने में सीधे-साधे, भोले-भाले हैं!
ये जन्नत मुबारक रहे ज़ाहिदों को (कोरस)
ये जन्नत मुबारक रहे ज़ाहिदों को
ये जन्नत मुबारक रहे ज़ाहिदों को (कोरस)
के मैं आपका सामना चाहता हूं
के मैं आपका सामना चाहता हूं (कोरस)
के मैं आपका सामना चाहता हूं (कोरस)
कभी ऐ हक़ीक़त-ए-मुन्तज़िर नज़र आ लिबास-ए-मजाज़ में
के हज़ारों सजदे तड़प रहे हैं तेरी जबीन-ए-नियाज़ में
के मैं आपका सामना चाहता हूं
आ..
के मैं आपका सामना चाहता हूं (कोरस)
कोई दम का मेहमान हूं ऐ अहले महफ़िल
कोई दम का मेहमान हूं ऐ अहले महफ़िल (कोरस)
कोई दम का मेहमान हूं ऐ… अहले महफ़िल
कोई दम का मेहमान हूं ऐ अहले महफ़िल
नहीं बे-गानगी अच्छी रफ़ीक़-ए-राह-ए-मंज़िल से
ठहर जा ओ शरर, हम भी तो आख़िर मिटने वाले हैं
कोई दम का मेहमान हूं ऐ… अहले महफ़िल
कोई दम का मेहमां हूं ऐ अह़ल-ए-महफ़िल (कोरस)
चराग़-ए-सहर हूं, बुझा चाहता हूं
बुझा…. चा…हता…… हूं
चराग़-ए-सहर हूं, बुझा चाहता हूं (कोरस)
सितम हो के हो वादा-ए-बेहिजाबी
सितम हो के हो वादा-ए-बेहिजाबी (कोरस)
वादा-ए…. वादा-ए…….
सितम हो के हो वादा-ए-बेहिजाबी (कोरस)
आ..
सितम हो के हो वादा-ए-बेहिजाबी (कोरस)
सितम हो के हो वादा-ए…..-बेहिजाबी
सितम हो के हो वादा-ए…..-बेहिजाबी (कोरस)
कोई बात सब्र-आज़मां चाहता हूं
कोई बात सब्र-आज़मां चाहता हूं (कोरस)
इश्क़ भी हो हिजाब में, हुस्न भी हो हिजाब में
या तू आश्कार हो, या मुझे आश्कार कर
कोई बात सब्र-आज़मां चाहता हूं
भरी बज़्म में
भरी बज़्म में, राज़ की बात कह दी
भरी बज़्म में, राज़ की बात कह दी (कोरस)
राज़….. की. राज़ की…..बात…….
भरी बज़्म में, राज़ की…. बात कह दी
भरी बज़्म में, राज़ की… बात कह दी (कोरस)
बड़ा बे अदब हूं सज़ा चाहता हूं
बड़ा बे अदब हूं सज़ा चाहता हूं (कोरस)
आ….
बड़ा बे अदब हूं सज़ा चाहता हूं (कोरस)
बड़ा बे अदब हूं सज़ा चाहता हूं (कोरस)
आ..
सज़ा चाहता हूं.. बड़ा बे अदब हूं (कोरस)
अगर कज-रौ है अंजुम, आसमां तेरा है या मेरा
मुझे फिक़्र-ए-जहां क्यूं हो, जहां तेरा है या मेरा?
अगर हंगामा-हाए शौक से है ला-मकां ख़ाली
खता किसकी है या रब, ला-मकां तेरा है या मेरा?
उसे सुब्हे-अज़ल, इनकार की जुर्रत हुई क्यूं-कर
मुझे मालूम है वो राज़दां तेरा है या मेरा?
मुहम्मद ﷺ भी तेरा, जिबरील भी, क़ुरआन भी तेरा
मगर ये ह़र्फ़-ए-शीरीं, तर्जुमा तेरा है या मेरा?
सज़ा चाहता हूं.. बड़ा बे अदब हूं (कोरस)
मेरी जफा तलबी को दुआएं देता है
वो दश्त-ए-सादा, वो तेरा जहान-ए-बेबुनियाद
मक़ाम-ए-शौक़ तेरे क़ुदसिओं के बस का नहीं
उन्हीं का काम है, जिनके हौसले है ज़य्याद
सज़ा चाहता हूं.. बड़ा बे अदब हूं (कोरस)
हुज़ूर-ए-हक़ में, इसराफील ने मेरी शिकायत की
ये बंदा वक़्त से पहले क़यामत कर न दे बरपा
मैं सज़ा चाहता हूं.. बड़ा बे अदब हूं (कोरस)
बाग़-ए-बहिश्त से मुझे हुकम-ए-सफ़र दिया था क्यूं?
कार-ए-जहां दराज़ है अब मेरा इंतज़ार कर
सज़ा चाहता हूं.. बड़ा बे अदब हूं (कोरस)
फारिग़ तो न बैठेगा, महशर में जुनूं मेरा
या अपना गिरेवां चाक, या दामन-ए-याज़दां चाक
मैं सज़ा चाहता हूं.. बड़ा बे अदब हूं (कोरस)
रोज़-ए-हिसाब जब मेरा पेश हो दफ़्तर-ए-अ़मल
आप भी शर्म-सार हो, मुझको भी शर्म-सार कर
सज़ा चाहता हूं.. बड़ा बे अदब हूं (कोरस)
आ…
सज़ा चाहता हूं.. बड़ा बे अदब हूं (कोरस)
हम को जमईयत-ए-ख़ातिर ये परेशानी थी
वर्ना उम्मत तेरे महबूब की दीवानी थी
हम से पहले था अजब तेरे जहाँ का मंज़र
कहीं मस्जूद थे पत्थर, कहीं माबूद शजर
ख़ूगर-ए-पैकर-ए-महसूस थी इंसाँ की नज़र
मानता फिर कोई अन-देखे ख़ुदा को क्यूँकर
तुझ को मालूम है लेता था कोई नाम तेरा
तुझ को मालूम है लेता था कोई नाम तेरा (कोरस)
क़ुव्वत-ए-बाज़ू-ए-मुस्लिम ने किया काम तेरा
सज़ा चाहता हूं.. बड़ा बे अदब हूं (कोरस)
सज़ा चाहता हूं.. बड़ा बे अदब हूं (कोरस)
सज़ा चाहता हूं.. बड़ा बे अदब हूं (कोरस)
सफ़्ह-ए-दहर से बातिल को मिटाया हम ने
नौ-ए-इंसाँ को ग़ुलामी से छुड़ाया हम ने
तेरे काबे को जबीनों से बसाया हम ने
तेरे क़ुरआन को सीनों से लगाया हम ने
फिर भी हम से ये गिला है के वफ़ादार नहीं
हम वफ़ादार नहीं, तू भी तो दिलदार नहीं
मैं सज़ा चाहता हूं.. बड़ा बे अदब हूं
सज़ा चाहता हूं.. बड़ा बे अदब हूं (कोरस)
सज़ा चाहता हूं.. बड़ा बे अदब हूं (कोरस)
उम्मतें और भी हैं उन में गुनहगार भी हैं
इजज़् वाले भी हैं मस्त-ए-मय-ए-पिंदार भी हैं
उन में काहिल भी हैं ग़ाफ़िल भी हैं हुश्यार भी हैं
सैकड़ों हैं कि तिरे नाम से बे-ज़ार भी हैं
रहमतें हैं तिरी अग़्यार के काशानों पर
रहमतें हैं तिरी अग़्यार के काशानों पर (कोरस)
बर्क़ गिरती है तो बेचारे मुसलामानों पर
सज़ा चाहता हूं.. बड़ा बे अदब हूं (कोरस)
बुत सनम-ख़ानों में कहते हैं मुसलमान गए
है ख़ुशी उन को कि काबे के निगहबान गए
मंज़िल-ए-दहर से ऊँटों के हुदी-ख़्वान गए
अपनी बग़लों में दबाए हुए क़ुरआन गए
ख़ंदा-ज़न कुफ़्र है एहसास तुझे है के नहीं
ख़ंदा-ज़न कुफ़्र है एहसास तुझे है के नहीं (कोरस)
अपनी तौहीद का कुछ पास तुझे है कि नहीं
सज़ा चाहता हूं.. बड़ा बे अदब हूं (कोरस)
सज़ा चाहता हूं.. बड़ा बे अदब हूं (कोरस)
बड़ा बे-अदब हूं सज़ा चाहता हूं
बड़ा बे-अदब हूं सज़ा चाहता हूं (कोरस)
मेरी सादगी देख, क्या चाहता हूं
मेरी सादगी देख, क्या चाहता हूं(कोरस)
तेरे इश्क़ की इन्तेहा चाहता हूं
तेरे इश्क़ की इन्तेहा…. चाहता… हूं…..
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