या अली या हुसैन Lyrics Hindi | Nadeem Sarwar
Ya Ali Ya Hussain Lyrics Nadeem Sarwar
अल्लाह ×३
अल्लाह ही अल्लाह ×४
तू ही तू अल्लाह
अल्लाह …
तू ही तू अल्लाह ×२
जो मोहम्मद का वफ़ादार है अल्लाह उसका
कर्बला उसकी, नजफ़ उसका, मदीना उसका
ज़िन्दगी है तो बस अली की तरहां
मौत आए तो या हुसैन, हुसैन
या हुसैन×6
या अली, या हुसैन×4
आवाज़ ए मोहम्मद का असर ख़त्म ना होगा
थक जाएगा सूरज ये सफ़र ख़त्म ना होगा
या अली या हुसैन ×३
लारैब के रसूल की दोनों हैं ज़ेब ओ ज़ैन
पहलू में या अली हैं तो गोदी में या हुसैन
गोदी में या हुसैन!
लौहो क़लम का इल्म का साबित है या अली
जब तक ख़ुदा का मुल्क है मालिक है या हुसैन
मालिक है या हुसैन!
ये इ़ल्म का दर, सब्र का घर ख़त्म ना होगा
थक जाएगा सूरज ये सफ़र खत्म ना होगा ।
ये सल्तनत ए इश्क़ है ख़ुद्दार मिलेंगे
सलमान ओ अबूज़र से वफ़ादार मिलेंगे
वफ़ादार मिलेंगे!
आशिक़ यहां मीसम से जिगर-दार मिलेंगे
जीने के लिए मरने पे तैयार मिलेंगे
तैयार मिलेंगे!
कट जाए ज़बां इश्क़ मगर ख़त्म ना होगा
थक जाएगा सूरज ये सफ़र ख़त्म ना होगा
मुस्लिम बिन ए अकील सफ़ीर ए हुसैन हैं
हुब्ब ए अली है दिल में मुशीर ए हुसैन हैं
मुशीर ए हुसैन है!
वो बादशाह और ये वज़ीर ए हुसैन है
ऐसा वज़ीर है के फ़क़ीरे हुसैन है
फ़क़ीरे हुसैन है!
ता हश्र सिफ़ारत का सफ़र ख़त्म ना होगा
थक जाएगा सूरज ये सफ़र ख़त्म ना होगा
या अली या हुसैन × ३
हुर को सख़ी हुसैन ने आली बना दिया
ऐसा के पंजतन का सवाली बना दिया
सवाली बना दिया!
नादे अली ने इसको जलाली बना दिया
रुमाल ए फ़ातिमा ने मिसाली बना दिया
मिसाली बना दिया!
ये दर है अताओं का ये दर ख़त्म ना होगा
थक जाएगा सूरज ये सफ़र ख़त्म ना होगा
ऐ मेरे रब्ब ए जहां
ऐ मोहम्मद के ख़ुदा
ये तेरा इश्क़ ही था
जिस की परवाज़ जुदा
ये तेरा इश्क़ ही था ×२
पंजतन से जो मिला इश्क़ का तेरे सफ़र
इश्क़ ए हैदर में मिला
कभी मीसम कभी मिक़दाद ओ अबूज़र में मिला
कभी सलमान के दिल में कभी क़म्बर में मिला
और मक़तल में जो देखा तो 72 में मिला
लायक़ ए इश्क़ है तू तेरा जल्वा हर सू
लायक़ ए इश्क़ है तू तेरा जल्वा हर सू
ऐ मेरे रब्ब ए जहां
ऐ मोहम्मद के ख़ुदा
इश्क़ तूने भी किया वो मोहम्मद तेरा
जिसकी चाहत के लिए ये जहां ख़ल्क़ किया
वो तेरा इश्क़ ही था ×३
ऐ मेरे रब ए जहां
ऐ मेरे रब ए जहां इक अजब इश्क़ हुआ
वोह सरे कर्बोबला तेरा आशिक़ है खड़ा
खून में डूबा हुआ
दे चुका लख़्ते जिगर
दे चुका नूरे नज़र
दे चुका सारा वो घर
और खंजर के तले उसका सजदे में है सर
ना नमाज़ ऐसी, ना आशिक़, ना कलेजा ऐसा
नोके नेज़ा पे भी करता ही रहा ज़िक्र तेरा
या अली या हुसैन ×३
इक ज़ुल्फ़िक़ार ख़ल्क़ में दो हाथ से चली
दस्ते हुसैन ओ पंजा ए मुश्किल कुशा अली
ये मुस्तफ़ा की जान वो अल्लाह का वली
दोनों का मर्तबा भी दो आलम पे है जली
दोनों का इस कमाल से सजदा अदा हुआ
हैदर से इब्तिदा हुई या ख़ातिमा हुआ
या अली या हुसैन ×३
है वक़्त़ ए अस्र मर्ज़ी ए परवरदिगार है
अब पुश्ते ज़ुल्जनाह पे मौला सवार है
पहलू में खून रोती हुई ज़ुल्फ़िक़ार है
हमराह ज़ुल्जनाह भी बहुत दिल फिगार है
कुर्बान ज़ुल्जनाह पे और ज़ुल्फ़िक़ार पर
चलते थे दोनों मर्जी़ ए परवरदिगार पर
या अली या हुसैन ×३
जैसी वोह ज़ुल्फ़िक़ार थी वैसा था ज़ुल्जनाह
बचपन से साथ-साथ ही रहता था ज़ुल्जनाह
बेमिस्ल ओ बेनज़ीर था आला था ज़ुल्जनाह
क्यूं कर ना हो रसूल ने पाला था ज़ुल्जनाह
पहला सवार तो नबी ए किर्दिगार है
और दूसरा ये दोशे नबी का सवार है
या अली या हुसैन ×३
चीते की जस्त, शेर की चितबन, हिरन की आंख
चलता था देख-देख के शाहे ज़मन की आंख
पड़ती थी यूं हरीफ़ पे उस सक-शिकन की आंख
लड़ती हो जैसे जंग में शमशीर ज़न की आंख
तेग़ आई जिस पे, उसका भी वार उसपे चल गया
वो सर गिरा गई तो ये लाशा कुचल गया
या अली या हुसैन ×३
कहता था जुल्फि़क़ार से अब मेरी जंग देख
चल मेरे साथ-साथ ज़रा मेरा रंग देख
इस प्यास में लड़ाई का मेरा भी ढंग देख
राहे ह़यात कितनों पे करता हूं तंग देख
माना तू जुल्फ़िक़ार है, मरहब शिकार है
लेकिन ये देख कौन ये मुझ पर सवार है
या अली या हुसैन ×३
सिमटा जमा उड़ा इधर आया उधर गया
चमका फिरा जमाल दिखाया ठहर गया
तीरों से उड़के बर्छियों में बेख़तर गया
बरहम किया सफ़ों को सरों से गुज़र गया
आया जो ज़द में इसकी, अजल आ गई उसे
इक टाप पड़ी जिसपे ज़मीं खा गई उसे
या अली या हुसैन ×३
अल्लाह रे! लड़ाई में शौकत हुसैन की
थी तेग़ ओ जु़ल्जनाह में सुरअ़त हुसैन की
क़ुदरत बग़ौर तकती थी सूरत हुसैन की
क़हरे ख़ुदा से कम ना थी हैबत हुसैन की
बोले अली “हुसैन! हो अभी हवास में”
ऐसी तो जंग हम ना लड़े भूंक ओ प्यास में
हुसैन या हुसैन ×३
आई सदा ए ग़ैब के बस बस हुसैन बस
दम ले हवा में चंद नफ़स बस हुसैन बस
गर्मी से हांफ़्ता है फ़रस ऐ हुसैन बस
बक़्ते नमाज़ ए अस्र है बस बस हुसैन बस
हुसैन या हुसैन ×३
ये सुनते थे हज़रत जो लगा पुश्त पे भाला
क़रबूस पे थर्रा के गिरे हज़रत ए वाला
जिब्रील ने क़दमों से रक़ाबों को निकाला
और हाथों को गर्दन में यदुउल्लाह ने डाला
देखा जो ज़ुल्जनाह ने ग़श खाते ज़ीन पर
बस बैठ गया टेक के घुटनों को ज़मीं पर
क़ुरआन रहल-ए-ज़ीं से सर-ए-फ़र्श गिर पड़ा
दीवार ए क़ाबा बैठ गई अर्श गिर पड़ा
हुसैन या हुसैन ×३
चिल्लाईं फ़ातिमा मेरा बच्चा है बेगुनाह
ऐ अ़र्ज ए नैनवां मेरा बच्चा है बेगुनाह
ऐ नहरे अलक़मा मेरा बच्चा है बेगुनाह
ऐ ज़ुल्फ़िक़ार तू ही बचा ले हुसैन को
ऐ ज़ुल्जनाह तुझसे मैं लूंगी हुसैन को
हुसैन या हुसैन ×३
डूबा लहू में लौट के आया है ज़ुल्जनाह
समझी सकीना बाबा को लाया है ज़ुल्जनाह
सर ख़ाक पर पटक के पुकारा वो राहवार
सैदानियों! बिछड़ गया मुझसे मेरा सवार
जल्दी उतार लो ये तबर्रुक ये ज़ुल्फ़िक़ार
अरे कटता है वा गुलू ए शहंशाह ए नामदार
ज़हरा क़रीब ए लाश ए पिसर ख़ाक उड़ाती हैं
अरे खैमों में जाओ लूटने को फ़ौज आती है
हुसैन या हुसैन × …
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