Ali Lajawab Hain Lyrics Hindi – Rao Brothers

Ali Lajawab Hain Lyrics Hindi

 

शाहे मरदां शेरे यज़दां क़ुव्वत ए परवरदिगार
ला-फ़ताह इल्लाह अली ला शैफ़ इल्ला ज़ुल्फ़िक़ार

अली तो लाजवाब हैं
अली तो लाजवाब हैं

 

अली का इश्क़ ज़िन्दगी
अली का इश्क़ बन्दगी
अली के इश्क़ से मिले
क़लन्दरी सिकन्दरी

 

मैं सुन्नी, मैं हूं हैदरी ना राफ़्जी जी ना खारजी
जो इश्क़ ए अली दिल में है वो इश्क़ बे-हिसाब है
(हैदर हैदर ..)

 

अली शाह ए हैदर इमामन कबीरा
के बाद अज़ नबी शुद बशीरम नज़ीरा
आख़िर ये नबी हैं वो नूरे नबी हैं
हैं नफ़्से नबी और खून ए नबी हैं

 

फ़रिश्तों को है मान के उनके गदा हैं
अली शेर ए यज़दां अली ला-फ़ताह हैं
है लहमो-का लहमी, है जिस्मो-का जिस्मीं
है दम्मो-का दम्मी, है नफ़्सो-का नफ़्सी

 

है ऐ़न ए ख़ुदा वो
हैं दस्ते ख़ुदा वो
निशान ए ख़ुदा वो
नबी ओ ख़ुदा वो हुए जिससे राज़ी
के जिब्रील ने ये ओहद में सदा दी

मिला है अली को भी हिजरत में बिस्तर
ख़ुदा के हुकुम से दी आक़ा ने दुख़्तर

 

अली के सिवा कोई मुझको बताओ
सलोनी का दावा किसी ने किया हो
सख़ावत में आला, शुजाअ़त में आला
अली शाह ए मर्दा मदद करने वाला
अली इल्म का दर नबी ने कहा है
कि मन कुंतो मौला नबी ने कहा है

 

के हर इक सहाबी के मौला अली हैं
हां मोमिन मुसलमां के मौला अली हैं
हां ख़ुल्फ़ा ए राशिद में नामे अली हैं
सुनो पंजतन में भी नामे अली है

 

करम करने वाला
रहम करने वाला
अता करने वाला
सख़ा करने वाला
वो कुनबे को दीं पे फ़िदा करने वाला
नहीं कोई ऐसी वफ़ा करने वाला

 

लिया गोद में जब नबी ने अली को
खुली उनकी आंखें तो देखा नबी को
ख़ुदा ही के घर में विलादत हुई है
ख़ुदा ही के घर में शहादत हुई है

 

अली मेरे मावा
अली मेरे मल्जा
वो नेमत है रब की
वो रहमत है रब की
अली मेरे आबिद
अली मेरे साजिद
अली मेरे आलिम
अली मेरे फ़ाज़िल
अली मेरा काबा
अली मेरा किबला
अली मेरे सरवर
अली मेरे शफ़क़त

 

अली मेरे हादी अली मेरे हैदर
बा-फ़ज़्ले ख़ुदा से मैं हूं बू-तुराबी

अली मेरे हादी अली मेरे हैदर
ब-फ़ज़्ले ख़ुदा से मैं हूं बू-तुराबी

 

अली हैं मेरे रहनुमा अली हैं मेरे पेशवा
अली ख़ुदा के शेर हैं अली हैं जान ए मुस्तफ़ा
मेरा तो मसलक अली
मेरी अक़ीदत अली
मेरे लिए ज़िक्रे अली बहुत बड़ा सवाब है

 

अली तो लाजवाब हैं, अली तो लाजवाब हैं
अली तो लाजवाब हैं, अली तो लाजवाब हैं

 

विलायतों के शहर के हैं मेरे अली हुक्मरान
हैं ज़ाबता ह़यात का, अली हैं इल्म का जहां

 

कहो न फिर है हक़ अली
कहो न फिर है हक़ अली
इमाम बेशक अली
मक़ाम ला मक़ा में बस
अली तो लाजवाब हैं,

अली तो लाजवाब हैं, अली तो लाजवाब हैं
अली तो लाजवाब हैं, अली तो लाजवाब हैं

 

है नाज़ ए खुदा – हैदर
है शेर ए खुदा – हैदर
बाब ए अता -हैदर
है जूद ओ सख़ा – हैदर
है मेरी वफ़ा – हैदर
तेरा रुतबा बड़ा – हैदर

 

है फ़ातिमा की जान और अली नबी के फूल हैं
दोनों जहां की कामयाबी के अली उसूल हैं
जो शहर ए इल्म मुस्तफ़ा तो दर हैं इसका मुर्तज़ा
असद भी है ख़ुदा का और नबी का बू-तुराब है

 

अली तो लाजवाब हैं, अली तो लाजवाब हैं
अली तो लाजवाब हैं, अली तो लाजवाब हैं

 

अज़ल से अपने दिल में है तमन्ना, ऐ मेरे ख़ुदा
हर एक सांस हैदरी करें हैं बस यही दुआ
जो जाम ए कौसर पिये अली के हाथ से पिये
मैं झूमता फिरूं, हुआ ये पूरा मेरा ख़्वाब है

 

अली तो लाजवाब हैं, अली तो लाजवाब हैं
अली तो लाजवाब हैं, अली तो लाजवाब हैं

 

अली का नाम ना लूं सांस ही नहीं आती
अजीब लोग हैं कहते हैं या अली ना कहो

 

Recited by: Rao Arsal (Rao Brothers) And Ghulam Mustafa Qadri

 

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