बनायी मुझ बेनवा की बिगड़ी नसीब मेरा जगा दिया लिरिक्स | Banayi Mujh Benawa Ki Bigdi Lyrics in Hindi and English,
क़व्वाल : नुसरत फतेह अली खान
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ख़्वाजा जी महाराजा जी, तुम बड़ो ग़रीब नवाज़
अपना कर के राखियो तोहे बॉंह पकड़े की लाज।
ख़्वाजा मुझ में औगन बहुत हैं तो है तहत गरीब नवाज़
अपना करके राखियो तोहे बांह पकड़े की लाज।
चुरियां पहनाईं चुनरिया उढ़ाई
खासी दुल्हनिया बनाई,
मेरी चुरियों की लाज ख़्वाजा रखना
यह तो पहन लिया उतरत ना।
तेरो हाथ है मेरो सुहाग ख़्वाजा
मैं तो जोबना तुम पे लुटा बैठी।
इतना शदीद ग़म है कि एहसास ए ग़म नहीं
कैसे कहूं कि आपका मुझ पे करम नहीं।
मंज़िल मुझे मिले न मिले इसका ग़म नहीं
तुम साथ साथ हो मेरे ये भी तो कम नहीं।
ऐ आने वाले! अपनी जबीं को झुका के आ
ये आसतान-ए-यार है सहन-ए-हरम नहीं।
जब तक बिके न थे तो कोई पूछता न था
तुमने ख़रीद कर हमें अनमोल कर दिया।
बनायी मुझ बेनवा की बिगड़ी नसीब मेरा जगा दिया
बनायी मुझ बेनवा की बिगड़ी नसीब मेरा जगा दिया
तेरे करम के निसार तूने मुझे भी जीना सिखा दिया।
बदल गई मेरे दिल की दुनिया, अता ने वो मरतबा दिया
करम की ऐसी निगाह डाली, गदा को सुल्तां बना दिया।
करम के साए में हमको रखा, कभी हिरासां न हम हुए,
हमारे सर पे जो धूप आयी तो अपना दामन बढ़ा दिया।
ये इनकी बंदा नवाज़ियां हैं, जो मुझ पे ऐसा करम किया,
बना के अपना फ़क़ीर मुझको ग़म-ए-जहां से छुड़ा दिया।
ग़रीब दर-दर भटक रहे थे, कहीं न दिल को सुकूं मिला,
करम किया तूने अपने दर को, हमारा काबा बना दिया।
वुज़ू किया मैंने आंसुओं से, नवाज़ मेरी अदा हुई,
मिला जो नक़्श-ए-क़दम तुम्हारा तो मैंने सर को झुका दिया।
किसी को दर से ख़ाली टाला, हर इक सवाली को भीक दी,
ग़रीब आए जो आस्तां पर , करम का दरिया बहा दिया।
बनायी मुझ बेनवा की बिगड़ी नसीब मेरा जगा दिया।