दिलरूबा दिल नशीं मोइनुद्दीं – Manqabat Gharib Nawaz

 

दिलरूबा दिल नशीं मोइनुद्दीं लिरिक्स इन हिंदी | Dil Ruba Dil Nashin Muyinyddin Lyrics in Hindi | Manqabat Khwaja Moinuddin Chishti Sanjari Ajmeri Rahmatullah Alaih

कलाम : हज़रत पीर नसीरुद्दीन ‘नसीर’


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दिलरूबा दिल नशीं मोइनुद्दीं

 

दिलरूबा दिल नशीं मोइनुद्दीं
भूलते हैं कहीं? मोइनुद्दीं।

 

वाक़िफ ए सिर्र-ए-दीं, मोइनुद्दीं
नाज़ ए अहले यक़ीं, मोइनुद्दीं।

 

ज़िब्दतुल आरफ़ीं, मोइनुद्दीं
हक जहां है वहीं, मोइनुद्दीं।

 

हो गई उनसे दीन की तजदीद
रूह ए दीन ए मुबीं मोइनुद्दीं।

 

रहबर ए सालिकीन ए राह ए तलब
मंज़िल ए अहले दीं मोइनुद्दीं।

 

हमने हर सू निगाह दौड़ाई
कोई तुमसा नहीं मोइनुद्दीं।

 

जिसने चूमे तेरे क़दम इक बार
है फ़लक वह ज़मीं मोइनुद्दीं।

 

लौह ए हस्ती पे जगमगाते हैं
बन के नक़्श ए हसीन मोइनुद्दीं।

 

तुम से रोशन है जादा ए उल्फ़त
सोज़ ए जां के अमीं मोइनुद्दीं।

 

बात हर इक तुम्हारी मिस्ल ए गोहर
लफ़्ज़ इक-इक नगीं मोइनुद्दीं।

 

ग़म-व-आलाम ने जहां घेरा
याद आए वहीं, मोइनुद्दीं।

 

ख़ादिम-ए-आसतान-ए-आ़ली है
ये नसीर-ए-हज़ीं, मुइनुद्दीन।

किताब: फ़ैज़ ए निसबत

 

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