Ek Roz Momin Tumhen Marna Zaroor Hindi Lyrics
एक रोज़ मोमिन तुम्हें मरना ज़रूर है
पढ़ते रहो नमाज़ ये क़ौल ए रसूल है
पढ़ते रहो नमाज़ तो चेहरे पे नूर है
पढ़ते नहीं नमाज़ तो अपना कसूर है
अपने किये की आप सज़ा जल्द पाओगे
सीधे ऐ बे-नमाज़ी जहन्नुम में जाओगे
जिस रोज़ के तख्त पे बैठेगा किब्रिया
उस वक़्त क्या कहोगे तुम्हें आयेगी ह़या
शर्मों ह़या से उस घड़ी सर को झुकाओगे
जन्नत तो क्या मिलेगी जहन्नुम में जाओगे
तौबा करो खुदारा नमाजें पढ़ा करो
मकरो फ़रेब झूट से हर दम बचा करो
मस्जिद ख़ुदा का घर है इबादत का काम है
दुनिया का काम करना तो मुतलक हराम है
पढ़ते हैं जो नमाज़ जमाअ़त से सर-ब-सर
तैय्यार कर रहे हैं वो जन्नत में अपना घर
बख्शायेंगे ख़ुदा से उसे शाहे बहरोबर
मुस्लिम में और बुखारी में लिक्खी है ये खबर
जो तर्क की नमाज़ तो वो नाश हो गया
जिसने पढ़ी नमाज़ तो वो पाक हो गया
पढ़ते रहो नमाज़ तो बेहतर ये काम है
दीन-ए-रसूल-ए-पाक का इससे कयाम है
मत खाओ सूद, सूद का खाना हराम है
बस ये दुआ ख़ुदा से मेरी सुब्हो शाम है
पाबन्द! बे नमाज़ी को कर दो नमाज़ का
और उसके दिल में शौक़ तुम भर दो नमाज़ का
नाराज़ अपनी बीवी से होते हो हर घड़ी
कहते हो काम को उसको तुम हर वक़्त हर घड़ी
उसको भी है नमाज़ सिखाई कोई घड़ी
तुमसे निकाह कर के मुसीबत में है पड़ी
देखो नमाज़ पढ़ना ना उसको सिखाओगे
बीवी के साथ खुद भी जहन्नम में जाओगे
ऐ मोमिनो नमाज़ को तुम करना ना कज़ा
कुरआ़न में ये साफ़ कहते है किब्रिया
मरने के बाद हश्र में दूल्हा बनाएगी
सेहरा निजात का ये सर पर उड़ाएगी
शिमर ए लईं ने सर को जो तन से जुदा किया
उस दम सरे हुसैन था सजदे में झुका हुआ
पहले जहां को शौक़ ए शहादत दिखा दिया
हक़ की रज़ा में अपना है क्या घर लुटा दिया
देखोगे कैसी कैसी इबादत नमाज़ है
भूले ना मरते दम भी वो नेमत नमाज़ है
ऐ मोमिनो नमाज़ खुदा से मिलाएगी
मरने के बाद गुलशन ए जन्नत दिलाएगी
खालिक से तुमको रोज़े जज़ा बख्शबायेगी
जन्नत में साथ अपने तुम्हें लेके जाएगी
खालिक से तुमको रोज़े जज़ा बख्शबायेगी
जन्नत में साथ अपने तुम्हें लेके जाएगी
सारी इबादतों में इबादत नमाज़ है
ऐ मोमिनो ये दीन की दौलत नमाज़ है
जो कुछ के मर्तबा था बताया नमाज़ का
होवे गा सर पे हश्र में साया नमाज़ का
मज़बूत पकड़ो हाथ सफ़ाया नमाज़ का
ये मर्तबा ख़ुदा ने बताया नमाज़ का
पढ़ लो नमाज़ दिल से तो हो जाओगे वली
खिल जायेगी फिर आपसे दिल की कली-कली
तौफ़ीक़ मुझको देदो ऐ मेरे किब्रिया
करती रहूं नमाज़ की तबलीग जा बजा
करती रहूं नमाज़ की तबलीग जा बजा
करती रहूं नमाज़ की तबलीग जा बजा
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