मयकदा 2 लिरिक्स हिंदी – मुहम्मद समी | Maikada 2 Lyrics in Hindi | Qawwali by Muhammad Samie
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मयकदा 2 लिरिक्स हिंदी
साग़र की आरज़ू है ना पैमाना चाहिए,
बस इक निगाहे मुर्शिद-ए-मयखाना चाहिए
मयखाना चाहिए हमें
मयखाना चाहिए ….
ये मयकदा है शेख-ए-हरम अपनी राह ले
कम ज़र्फ़ को इधर कभी आना ना चाहिए
समझ में जिसको आता है मक़ाम-ए-रिन्द ए पैमाना
वोही तो सिदक़ दिल से शैख़ जी आता है मयखाना
मयखाना चाहिए हमें
मयखाना चाहिए ….
(यहाँ कम नज़र का गुज़र नहीं
यहाँ अहले ज़र्फ़ का काम है)
पीनी है पीजिए मगर इतना ध्यां रहे
पीने के बाद होश में आना ना चाहिए
पीने के बाद होश में आना ना चाहिए
महव तस्वीह तो सब हैं
मगर इदराक कहाँ !
ज़िन्दगी खुद ही इबादत है
अगर होश नहीं!
कह गई कान में आकर तेरे दामन की हवा
साहिब ए होश वही है, कि जिसे होश नहीं
पीने के बाद होश में आना ना चाहिए..
जिस ज़िन्दगी में साक़ी तेरा ज़िक्र ही न हो
बेहतर है उस हयात से मर जाना चाहिए
मरने से पेश तर तुझे मर जाना चाहिए..
मरता नहीं है कोई किसी के फ़िराक़ से
ये कह के मर गया कोई आशिक़ फ़िराक़ से
ये आस्ताना-ए-यार है सहन ए हरम नहीं
सहने हरम नहीं …
जब रख दिया है सर तो उठाना ना चाहिए
मयखाना चाहिए हमें
मयखाना चाहिए ….
फ़ख्र-ए-जहाँ है साक़िया तेरा वक़ार भी
बन्दे भी तुझसे राज़ी हैं परवर दिगार भी
क़ुर्बान तुझ पे गर्दिश-ए-लैलो नहार भी
क़ब्ज़े में मय परस्त भी ताअ़त गुज़ार भी
फ़ज़्ले ख़ुदा से दोनों जगह एहतिराम है
साक़ी तू मयकदे में, हरम में इमाम है!
ऐ साक़िये मयखाना भर दे मेरा पयमाना
घनघोर घटा है या उड़ता हुआ मयखाना
बरसात की हवा-ए-मोअत्तर का वास्ता
मयखाना खोल साक़िये कौसर का वास्ता
जाता है मुझसे मेरा ज़माना शबाब का
ऐ पीर-ए-मुगां ला मेरा शीशा शराब का
हर शय से बढ़के ताहिर-ओ-अतहर हो वोह शराब
मिस्ले गुल-ए-बहिस्त-ए-मोअत्तर हो वो शराब
मक़बूल ए बारगाह ए पयंबर हो वोह शराब
मद्दाह जिसका ख़ालिक़-ए-अकबर हो वो शराब
जिसका कहीं निशां न हो दुनिया-ए-ज़ीस्त में
या तेरे मयकदे में मिले या बहिश्त में
साक़ी हैं जिसके शाहे विलायत वोही शराब
जो अहले बैत की है मोहब्बत वोही शराब
उस खास मय का जाम जो महूशर ए आम है
जिसको पिए बग़ैर इबादत हराम है
इतनी सी आरज़ू है शहंशाह ए कर्बला
लो कर दिया बयान सर-ए-आम बरमला