बोल रहा है तन मन सारा अ़ली-अ़ली कव्वाली लिरिक्स
Bol raha hai tan man sara Ali Ali lyrics in Hindi
कव्वाल: मंज़ूर हुसैन, संतो खां
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आ..
है़दरीयम, क़लंदरम, मस्तम
बंदा ए मुर्तुजा अली हस्तम
पेशवा ए तमाम रिंदनम
के सगे कू-ए-शेरे याज़दानम
दिल में अ़ली अ़ली है, दहन पर अ़ली अ़ली
मर जाऊं तो लिख देना, कफ़न पर अ़ली अ़ली
क्यूं,
बोल रहा है तन मन सारा अ़ली-अ़ली
बोल रहा है तन मन सारा अ़ली-अ़ली
बोल रहा है तन मन सारा अ़ली-अ़ली
है मस्तों का हर दम नारा अ़ली अ़ली
हर क़ल्ब अली, जिस्म अली, जान अली है
मुझ बे सरो सामान का सामान अली है
ईमान के बुतलाशियो , ईमान की कह दूं
ईमान तो ये है, मेरा ईमान अली है
बोल रहा है तन मन सारा अ़ली-अ़ली
है मस्तों का हरदम नारा अ़ली-अ़ली
मस्तों का नारा … अली अली
हम सब का नारा … अली अली
तो फिर, मारो नारा … अली अली.. या अली
अली अमीर भी हैं और दस्तगीर भी हैं
नबी के क़ुव्वते बाजू भी है, वज़ीर भी हैं
अली तो काबे में पैदा हुए हैं क्या कहना!
वो बेमिसाल भी हैं और बेनज़ीर भी हैं
मारो नारा … अ़ली अ़ली.. या अ़ली
इस्लाम की शमशीर …
इन्नद दीना इंदिल्ला हिल इस्लाम
इस्लाम की शमशीर … शामशीर
शाहे मर्दां, शेरे यज़दां,
क़ुव्वते- परवर दिगार
ला फ़तह इल्ला अली,
ला सैफा़ इल्ला ज़ुल्फ़िका़र
शमशीर … ज़ुल्फ़िक़ार
इस्लाम की शमशीर का जौहर हैं अली
काबा है सदफ़, उसमें गौहर हैं अली
जिस बीबी की ताज़ीम को उठते थे रसूल
अल्लाह रे! उस बीबी का शौहर हैं अली
तो वो बीबी,
तन्हा नबी के इ़ल्म की वारिस बुतूल थीं
पर्दा नशीं ना होतीं तो वो भी रसूल थीं
मारो नारा … अली अली.. या अली
मारो नारा … ह़क़ अली.. या अली
अली… अली… अली… अली…
अली… अली… अली… अली…
सब मारो नारा … अली अली.. या अली
क़ाला क़ाला रसूलल्लाह स. अ. व.
अना मदीनतुल इ़ल्मे, व अ़लीयुन बाबोहा
मैं इ़ल्म का शहर हूं और अली उस का दरवाज़ा है।
दर-दर ख़राबो- ख़स्ता फिरा लेके इल्तिजा
दर-दर, दर-दर, दर-दर, दर-दर, दुर- दुर
कुत्ता दर-दर जात है, उसे दर-दर, दुर- दुर होय
एक दर का हो रहे, उसे कभी न दुर- दुर होय
ज़ुल्फ़िका़र जित है़दर दी
ओ निकली मयानू चमक चमक
निकली मयानू चमक चमक
कड़क कड़क
धड़क धड़क
क़ुतब क़ुतब के मार के नारे
काफ़िर मारे कई हज़ारे
काफ़िर कैंदे रण के सारे
हुन्ना मारो असी हमारे
ऐ तो लैके ۔۔ ताईं
कहते भागे सारे
बस मारो नारा … अली अली.. या अली
अली ओस्नू आंख ते हिम बिबा
सत्थर् ऊंथा दी जेड़ा कथा देवे
सत्र वां नु सेरी करे ज़िंदा
सत्र वां नु सेरी नू मार देवे
क्यूं के,
अली कुल्ले इमान
फ़रमाने- मुस्तुफा़ स. अ. व.
अली कुल्ले इमान, इमान ह़क़ दा
ख़ैबर विच, ये नबी पुकार देवे
अली पाक मंज़ूर दे आशिकां दी
बिगड़ी होई तक़दीर संवार देवे
बस मारो नारा … अली अली.. या अली
आ ….
पा गा पा नी सा नी सा नी पा गा पा गा रे सा
बस मारो नारा … अली अली.. या अली
वा आक़िमुस्सलाता वा आतुज़्ज़क़ाता वरकऊ मअर्राके ईन
वा आकि़मुस सलाता … क़ायम करो नमाज़
वा आतुज़ ज़क़ाता …. और दो ज़क़ात
वरकऊ ….. और रूकू करो
मअर्राके ईन
तो,
रुकू जो उल्फ़ते हैदर से सरफराज नहीं
ग़मे हुसैन का सज्दे में सोज़ ओ साज़ नहीं
तो फिर कौन तुझ को आके समझाए
के ये नमाज़ की तौही़न है नमाज़ नहीं
अज़ान दे गयी हज़रत बिलाल की हस्ती
नमाज़ पढ़ गए दुनियां में करबला वाले
बस मारो नारा … अली अली.. या अली
ख़फी़ का जली से मुकाबला तौबा!
किसी का ह़क के वली से मुका़बला तौबा!
दिमाग़ उनका तो शायद अ़लील है साहब
बशर का मौला आली से मुकाबला तौबा!
हम ने तो इसी ज़िक्रे अली से मंज़ूर
सौ बार अंधेरों में उजाला देखा
बस मारो नारा … अली अली.. या अली
लौलाका ल-मा ख़लकतुल अफलाक़ (हदीस शरीफ़)
(ऐ महबूब तुझे ना पैदा करता तो कायनात ना पैदा करता! )
मुह़म्मद की जलवा नुमाई ना होती
तो दारैन में रौशनाई ना होती
ख़ुदा गर मुह़़म्मद को पैदा ना करता
क़सम है ख़ुदा की खु़दाई न होती
और इधर.. लहमोका लह्मी, जिस्मोका जिस्मी (ह़दीस शरीफ़)
ख़ुदा गर अली को भी पैदा न करता
तो मुश्किल ही रहती, कुशाई ना होती
मारो नारा … अली अली.. या अली
अली, अली, अली, अली, अली, अली, अली
या अली, अली, अली, अली, अली, अली, अली
या अली, अली
या अली, अली
या अली, अली, अली, अली, अली, अली, अली, अली
मारो नारा … अली अली.. या अली
सब, मारो नारा … अली अली.. या अली
चित्ता किद्दा भी होवे कनेर दा फूल
ओते चंबे दी कली नईं हो सगदा
लख वार दवो पवें खंड अंदर
ते तुम्बा मिस्री दी डली नईं हो सगदा
होवे कित्ता भी भाबे, छड्डो साहिब
क़सम अली दी, अली नईं हो सगदा
बस, मारो नारा … अली अली.. या अली
सलामी, जां दु-जां है
रंजो- ग़म खा़साने दावर का
ख़ुल्क़ सिब्तैन का, ज़हरा का, हैदर का, पयंबर का
सदा शोहरा रहेगा ख़ल्क में ये ज़ोर-ए- है़दर का
कतारे – शुत्र, अंगुश्तर का, दर का, रूह़ के पर का
अली की तेग के दम से हुए ये मारके फैजल
ओहुद का, बद्र का, सफ्फ़ील का,
ख़ंदक का, ख़ैबर का
ग़ुलामे पंजतन को डर नहीं इन पांच चीजो़ं का
अज़ल का, जां-कनी का, क़ब्र का,
बरजख़ का, मह़शर का
तो, सब, मारो नारा … अली अली.. या अली
है़दर मौला हैं, सारे जग के इमाम हैं
दुनियां के शाहो- गदा उनके गु़लाम हैं
जग के अंदर जग उजियारा अली अली
है मस्तों का हर दम नारा अली अली …
वो तो,
जाने मुह़म्मद हैं, उनका बड़ा नाम है
मुश्किल को टाल देना मौला का काम है
टल गई मुश्किल, जब भी पुकारा अली अली
है मस्तों का हर दम नारा अली अली….
बेदम यही तो पांच हैं मक़सूदे का़यनात
ख़ैरुन्निसा, हुसैन ओ ह़सन, मुस्तफा़, अ़ली
नबुव्वत उनके घर की है
रिसालत उनके घर की है
विलायत उनके घर की है
इमामत उनके घर की है
सदाक़त उनके घर की है
शुजाअ़त उनके घर की है
शराफत उनके घर की है
शहादत उनके घर की है
शरीयत उनके घर की है
तरीक़त उनके घर की है
ह़की़क़त उनके घर की है
मा़रिफ़त उनके घर की है
मोह़ब्बत उनके घर की है
मुरव्वत उनके घर की है
अ़की़दत उनके घर की है
ये निस्बत उनके घर की है
रियाज़त उनके घर की है
इबादत उनके घर की है
अ़दालत उनके घर की है
गुनहगारों को बख्शाना
ये आदत उनके घर की है।
बोल रहा है तन मन सारा अ़ली-अ़ली
है मस्तों का हरदम नारा अ़ली-अ़ली
बोल रहा है तन मन सारा अ़ली-अ़ली
है मस्तों का हरदम नारा अ़ली-अ़ली۔۔
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