बे वतन सिर्फ़ अली हैं और अली के बेटे By Zain Saeedi
बे वतन सिर्फ़ अली हैं और अली के बेटे By Zain Saeedi
फ़िक्र-ओ-फ़न सिर्फ़ अली हैं या अली के बेटे
अब लगन सिर्फ़ अली हैं या अली के बेटे !
लहजा-ए-“लह्मोका-कलहमी” में पयम्बर ने कहा
जाने मन सिर्फ़ अली हैं या अली के बेटे !
बुत बनाने में तो शामिल थे क़बीले सबके
बुत शिकन सिर्फ़ अली हैं या अली के बेटे !
लफ़्जे “मिन्नी” ने बताया के मुहम्मदﷺ जैसे
मिन्नोअन सिर्फ़ अली हैं या अली के बेटे !
तुम रिवायात में ढूंढो तो वली और भी हैं
आयतन सिर्फ़ अली हैं या अली के बेटे !
सब हिदायत के सितारों की हिदायत के लिए
अंजुमन सिर्फ़ अली हैं और अली के बेटे !
सबकी क़ब्रें हैं, ठिकाने हैं मदीने में मगर
बे वतन सिर्फ़ अली हैं या अली के बेटे !
आज तक गुम्बद ए ख़ज़रा की ये आती है सदा
काश ज़हरा की लहद तक मेरा साया होता !!
बे वतन सिर्फ़ अली हैं या अली के बेटे!
क़ब्रे ज़हरा से सूए गुम्बद ए ख़ज़रा देखो
फिर वो सब्ज़ा भी तुम्हें सुर्ख़ नज़र आयेगा !!
बे वतन सिर्फ़ अली हैं या अली के बेटे
बे वतन सिर्फ़ अली हैं या अली के बेटे!
Be Watan Sirf Ali Hain Aur Ali Ke Bete Lyrics
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