नूर वाले मुस्तफ़ा आ गए छा गए×7
नूर वाले मुस्तफ़ा शहर-ए-हरम में आ गए
देखते ही देखते
देखते ही देखते सारे जहां पे छा गए
नूर वाले मुस्तफ़ा आ गए छा गए×2
जगमगाई है ये दुनिया मुस्तफ़ा के नूर से
महर चमका, मांग चमका, मुस्तफ़ा के नूर से
नूर वाले मुस्तफ़ा आ गए छ गए×2
जश्ने आक़ा पर सजीं, गलियां सितारों की तरहां
दिल में खुशियां रक्स करती हैं बहारों की तरहां
नूर वाले मुस्तफ़ा आ गए छा गए×2
नूर वाले मुस्तफ़ा आ गए छा गए
दोस्तों! देखो तो सही कैसी गलियां सजी हुई हैं
कैसी रौनकें लगी हुई हैं
हर तरफ़ खुशियां ही खुशियां हैं
हर तरफ़ झंडे ही झंडे हैं
जगह जगह मरहबा या मुस्तफ़ा की सदाएं बुलंद हो रही हैं
मरहबा या मुस्तफ़ा.. मरहबा या मुस्तफ़ा
मरहबा या मुस्तफ़ा.. मरहबा या मुस्तफ़ा
सरकार की आमद मरहबा
दिलदार की आमद मरहबा
हुज़ूर की आमद मरहबा
पुरनूर की आमद मरहबा
मरहबा या मुस्तफ़ा.. मरहबा या मुस्तफ़ा
मरहबा या मुस्तफ़ा.. मरहबा या मुस्तफ़ा
मुबारक हो वो शाह पर्दे से बाहर होने वाला है
गदाई को ज़माना जिसके दर पर आने वाला है
मरहबा या मुस्तफ़ा, मरहबा या मुस्तफ़ा
मरहबा या मुस्तफ़ा, मरहबा या मुस्तफ़ा
सरकार की आमद मरहबा
दिलदार की आमद मरहबा
हुज़ूर की आमद मरहबा
पुरनूर की आमद मरहबा
नूर आ गया, नूर आ गया
नूर आ गया, नूर आ गया
नूर आ गया.. नूर आ गया..
नूर आ गया.. नूर आ गया..
आया नूर छाया नूर
आया नूर छाया नूर
सरकार की आमद मरहबा
दिलदार की आमद मरहबा
मक्की की आमद मरहबा
मदनी की आमद मरहबा
आक़ा की आमद मरहबा
दाता की आमद मरहबा
सब झूम के बोलो मरहबा
सब झूम के बोलो मरहबा – मरहबा
नूर वाले मुस्तफा आ गए छा गए
आज तो सारा जहां है नूर में डूबा हुआ
जिस तरफ़ देखो समां है
जिस तरफ़ देखो समां है नूर में डूबा हुआ
नूर वाले मुस्तफा आ गए छा गए×2
अपने दोनों हाथों से
अपने दोनों हाथों से खुशियां लुटाने आ गए
आ गए आक़ा नयी
आ गए आक़ा नयी दुनिया बसाने आ गए
नूर वाले मुस्तफ़ा आ गए छा गए
आसमां पर छा गयी हैं
आसमां पर छा गयीं हैं रहमतों की बदलियां
कौन आया है के बरसीं
कौन आया है के बरसीं , छम-छमाछम बूंदियां
नूर वाले मुस्तफ़ा आ गए छा गए×4
सलाम मुस्तफ़ा, सलाम मुस्तफ़ा
सलाम मुस्तफा, सलाम मुस्तफा
अस्सलातु वस्सलामो अलैका या रसूलल्लाह
या रसूलल्लाह !
अपने ग़ुलामों का सलाम क़ुबूल कर लीजिये
या रसूलल्लाह !
हम गुनहगारों का सलाम क़ुबूल कर लीजिये
ऐ ग़रीबों के वाली ! सलाम हो आप पर
सलाम ऐ आमना के लाल ऐ महबूब-ए-सुब्हानी
सलाम ऐ फ़ख़रे मौजूदात फ़ख़रे नौ-ए-इंसानी
सलाम उस पर के जिसके घर में चांदी थी न सोना था
सलाम उस पर के टूटा बोरिया जिसका बिछौना था
सलाम उस पर के जिसने बेकसों की दस्तगीरी की
सलाम उस पर के जिसने बादशाही में फ़क़ीरी की
सलाम उस पर के जिसने चांद को दो टुकड़े फ़रमाया
सलाम उस पर के जिसके हुक्म से सूरज पलट आया
सरकार की आमद मरहबा
दिलदार की आमद मरहबा
मक्की की आमद मरहबा
मदनी की आमद मरहबा
आक़ा की आमद मरहबा
दाता की आमद मरहबा
सब झूम के बोलो मरहबा
सब झूम के बोलो मरहबा – मरहबा
नूर वाले मुस्तफ़ा आ गए छा गए×4
नूर दाएं नूर बाएं नूर आगे पीछे नूर
झुरमटों में नूर के
झुरमटों में नूर के आये सरापा रब के नूर
नूर वाले मुस्तफ़ा आ गए छा गए×2
ज़िन्दगी भर नात की महफ़िल सजाते जाएंगे
जैसे भी हालत हों
जैसे भी हालत हों उनका अलम लहराएंगे
नूर वाले मुस्तफ़ा आ गए छा गए×2
बारवीं के दिन में जन्नत के नज़ारे छा गए
उनके क़दमों में उजागर
उनके क़दमों में उजागर ! चाँद तारे आ गए
नूर वाले मुस्तफा आ गए छा गए×2
आ गयी है छा गयी है
आ गयी है छा गयी है सब्ज़ झंडों की बहार
ईदे मिलादुन्नबी है
ईदे मिलादुन्नबी है झूमों झूमों मेरे यार
मेरे आक़ा आए झूमों
मेरे दाता आए झूमों
सबके हामी आए झूमों
सबके दावर आए झूमों
इस त़रफ़ जो नूर है तो उस त़रफ़ भी नूर है
ज़र्रा ज़र्रा सब जहां का नूर से मामूर है
मेरे आक़ा आए झूमों
मेरे दाता आए झूमों
सबके हामी आए झूमों
सबके दावर आए झूमों
Recited by: Hafiz Tahir Qadri
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