जालियों पर निगाहें जमी हैंं | Manqabat Hindi
Jaliyo Par Nigahen Jami Hain Hindi Lyrics
Manqabat Khwan: Sayyed Abdul Wasi Qadri
Click Here For English Lyrics
जालियों पर निगाह़़ेेंं जमी हैंं
फ़ासलों को खुदारा मिटा दो
रुख़ से पर्दा हटा दो
जालियों पर निगाह़ेेंं जमी हैंं
अपना जल्वा किसी दिन दिखा दो
जालियों निगाहें जमी हैं
ग़ौसुल आज़म हो ग़ौसुल वरा हो
नूर हो नूर ए सल्ले अ़ला हो
क्या बयां आपका मर्त़बा हो
दस्तगीर और मुश्किल कुशा हो
आज दीदार अपना करा दो
जालियों पर निगाहें जमी हैं
वज़्द में आएगा सारा आलम
जब पुकारेंगे या गौसे आज़म
वो निकल आएंगे जालियों से
और कदमों में गिर जाएंगे हम
फिर कहेंगे के बिगड़ी बना दो
जालियों पर निगाहें जमी हैं
शिद्दत ए ग़म से घबरा गया हूं
ऐसे जीने से तंग आ गया हूं
हर तरफ़ आप को ढूंढता हूं
और इक इक से यह पूछता हूं
कोई पैग़ाम हो तो सुना दो
जालियों पर निगाहें जमी हैं
एक मुजरिम सियाह कार हूं मैं
हर ख़ता का सज़ाबार हूं मैं
मेरे चारों तरफ़ है अंधेरा
रोशनी का तलब गार हूं मैं
इक दिया ही समझ कर जला दो
जालियों पर निगाहें जमी हैंं
फ़िक्र देखो ख़्यालात देखो
ये आपकी अक़ीदत ये जज़्बात देखो
मैं हूं क्या मेरी औकात देखो
और सामने है किस की ज़ात देखो
ऐ अदीब अपने सर को झुका दो
जालियों पर निगाहे जमी हैं
जालियों पर निगाहें जमी हैं
Hindi And English Lyrics
| Qawwali |
| Sabri Brothers | Nusrat Fateh Ali Khan | Rahat Fateh Ali Khan | Iqbal Afzal Sabri | Aziz Miyañ |Nazir Ejaz Faridi | Ghous Muhammad Nasir | Maulvi Ahmad Hasan |
| Naat-E-Paak|
| Khalid Mahmud ‘Khalid’ | Allama Saim Chishti | Bedam Warsi | Ajmal Sultanpuri Naat | Ala Hazrat Naat | Akhtar Raza Khan| Raaz Ilaahabadi | Muhammad Ilyas Attari | Sayyad Nazmi Miyan