किस से मांगें, कहां जाएं, किस से कहें, और दुनिया में हाजत रवा कौन है लिरिक्स | Kis Se Maangeñ, Kahañ Jaayeñ, Kis Se Kaheñ Lyrics in Hindi
कलाम: पीर नसीरुद्दीन शाह नसीर गिलानी र.अ़
हम्द-ए-बारी-तआ़ला
किस से मांगें, कहां जाएं, किस से कहें
किस से मांगें, कहां जाएं, किस से कहें, और दुनिया में हाजत रवा कौन है
सबका दाता है तू, सब को देता है तू, तेरे बंदों का तेरे सिवा कौन है।
कौन मक़बूल है, कौन मरदूद है, बे-ख़बर! क्या ख़बर तुझको, क्या कौन है
जब तुलेंगे अ़मल सब के मीज़ान पर, तब खुलेगा कि खोटा खरा कौन है।
कौन सुनता है फ़रयाद मज़लूम की, किस के हाथों में कुंजी है मक़सूम की
रिज़्क़ पर किसके पलते हैं शाह-ओ-गदा, मसनद आराए बज़्म-ए-अ़त़ा कौन है।
औलिया तेरे मौहताज ऐ रब्ब-ए-कुल! तेरे बंदे हैं सब अंबिया-ओ-रुसुल
इनकी इज़्ज़त का बाइस है निस्बत तेरी, इनकी पहचान तेरे सिवा कौन है।
मेरा मालिक मेरी सुन रहा है फ़ुगां, जानता है वो ख़ामोशियों की ज़ुबां
अब मेरी राह में कोई ह़ायिल न हो, नामा-बर क्या बला है, सबा कौन है।
इब्तिदा भी वोही, इंतेहा भी वोही, ना-ख़ुदा भी वोही है, ख़ुदा भी वोही
जो है सारे जहानों में जल्वा-नुमा, उस अह़द के सिवा दूसरा कौन है।
वो ह़क़ाइक़ हों अशिया के या ख़ुश्क-ओ-तर, फ़ह्म-ओ-इदराक की ज़द में हैं सब, मगर
मा-सिवा, एक उस ज़ात-ए-बेरंग के, फ़ह्म-ओ-इदराक से मा-वरा कौन है।
अंबिया, औलिया, अह्ल-ए-बैत-ए-नबी, ता’बईन-ओ-सहाबा पे जब आ बनी
गिर के सज्दे में सबने यही अ़र्ज़ की, तू नहीं है तो मुश्किल कुशा कौन है।
अह्ल-ए-फ़िक्र-ओ-नज़र जानते हैं तुझे, कुछ न होने पे भी मानते हैं तुझे
ऐ नसीर! इसको तू फ़ज़्ल-ए-बारी समझ, वर्ना तेरी तरफ़ देखता कौन है।
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