अली का क़सीदा सवेरे सवेरे lyrics
Ali ka qadeeda Savere Savere Lyrics hindi
मुसल्ले पे मैंने अली का क़सीदा
ज्यूँ ही गुन-गुनाया सवेरे सवेरे
ख़ुदा की क़सम फिर इबादत का मुझको
बड़ा लुत्फ़ आया, सवेरे सवेरे
जो शह की मवाद्दत ने हुर्र झंझोड़ा
तो उसने भी ग़फ़लत के (बिस्तर को छोड़ा)
तो खुद आफ़ताब ए शहादत ने उसका
मुक़द्दर जगाया, सवेरे सवेरे
उभरते ही सूरज ने हम्द ए ख़ुदा की
ज़ियारत की फिर (रोज़ा ए मुर्तज़ा) की
परिंदों ने अपनी ज़ुबां में क़सीदा
अली का सुनाया, सवेरे सवेरे
है ज़हरा की मर्ज़ी मसीयत ख़ुदा की
हुआ था ना लव से (अभी हुक्म जारी )
लिबास ए जिना लेके रिज़वान ए जन्नत
ने दर खट-खटाया, सवेरे सवेरे
उठीं झूम कर रहमतों की घटाएं
चलीं मेरे घर में (जिना की हवाएं)
चराग़ ए हदीस ए किसा अपने घर में
जो मैंने जलाया, सवेरे सवेरे
मैं सोया था शब में अली को बुलाकर
बा हुक्म ए खुदा कुछ फरिश्तों ने आकर
मुझे ख्वाब में रौज़ा ए मुर्तज़ा का
नज़ारा कराया, सवेरे सवेरे
नमाज़ ए मवाद्दत में गुज़री मेरी शब
झुका फ़जर में सर पए सजदा ए रब
लगाई थी लागत अंधेरे अंधेरे
मुनाफ़ा कमाया, सवेरे सवेरे
वहां मदह ए मौला में मशरुफ़ शब भर
मवाद्दत की महफ़िल से लौटा जो मैं घर
सोहेल एक फ़रिश्ता शिफ़ाअत की मेरी
सनद लेके आया, सवेरे सवेरे
अली का क़सीदा सवेरे सवेरे lyrics in hindi.
Recited By: Ali Tasfeer
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