अकबर तुम्हें मालूम है क्या मांग रहे हो
तुम बाप से मरने की रिज़ा मांग रहे हो
इस आलम-ए-ग़ुर्बत में तुम्हें जाने दूं कैसे
इस दश्त-ए-मुसीबत में तुम्हें जाने दूं कैसे
इस वक़्त-ए-क़यामत में तुम्हें जाने दूं कैसे
ऐ लाल जो तुम इज़्ने विग़ा मांग रहे हो
तुम बाप से मरने की रिज़ा मांग रहे हो
अकबर तुम्हें मालूम है क्या मांग रहे हो
तुम बाप से मरने की रिज़ा मांग रहे हो
क्या गुज़रेगी इस बाप के दिल पर नहीं सोचा
तुमने ये मेरी जां अली अकबर नहीं सोचा
मर जाऊंगा मैं तुझसे बिछड़ कर नही सोचा
तुम मुझसे ज़ईफ़ी का असा मांग रहे हो
तुम बाप से मरने की रिज़ा माग रहे हो
अकबर तुम्हें मालूम है क्या माग रहे हो
तुम बाप से मरने की रिज़ा माग रहे हो
दिल रोता है नज़रों से अगर दूर हो बेटा
किस तरहां जुदाई तेरी मंज़ूर हो बेटा
तुम ही मेरी आँखें हो मेरा नूर हो बेटा
मुझसे मेरी आखों की ज़िया माँग रहे हो
तुम बाप से मरने की रिज़ा माग रहे हो
अकबर तुम्हें मालूम है क्या माग रहे हो
तुम बाप से मरने की रिज़ा माग रहे हो
दुनिया से गया जिस घड़ी महबूब ख़ुदा का
नाना की ज़ियारत को तड़पता था नवासा
ऐ लाल तुझे इसलिए ख़ालिक़ से था मांगा
मक़बूल हुई मेरी दुआ मांग रहे हो
तुम बाप से मरने की रिज़ा मांग रहे हो
अकबर तुम्हें मालूम है क्या मांग रहे हो
तुम बाप से मरने की रिज़ा मांग रहे हो
इस्लाम पे खुद अपना लहू रन में बहाओ
सीने पे सिना शान से मैदान में खाओ
तस्वीर पयम्बर की तहे ख़ाक मिलाओ
क्या इसलिए मरने की रिज़ा मांग रहे हो
तुम बाप से मरने की रिज़ा मांग रहे हो
अकबर तुम्हें मालूम है क्या मांग रहे हो
तुम बाप से मरने की रिज़ा मांग रहे हो
इक रोज़ तुझे आन के मांगा था फुफी ने
अट्ठारह(18) बरस नाज़ों से पाला था फुफी ने
बेटों से भी ज़्यादा तुम्हें चाहा था फुफी ने
एहसान जो ज़ैनब ने किया मांग रहे हो
तुम बाप से मरने की रिज़ा मांग रहे हो
अकबर तुम्हें मालूम है क्या मांग रहे हो
तुम बाप से मरने की रिज़ा मांग रहे हो
रखते नहीं तुम इसकी ख़बर ऐ मेरे प्यारे
किस दर्जा मोहब्बत है तेरी दिल में हमारे
नाना की मेरे शक्ल है पैकर में तुम्हारे
तुम सूरत-ए-महबूब-ए-ख़ुदा मांग रहे हो
तुम बाप से मरने की रिज़ा मांग रहे हो
अकबर तुम्हें मालूम है क्या मांग रहे हो
तुम बाप से मरने की रिज़ा मांग रहे हो
सर तेरा भी जिस वक़्त चढ़ेगा सर-ए-नैज़ा
होगा सरे मैदान जुदा सर भी तुम्हारा
हमशक़्ल-ए-पयम्बर का गला काटेंगे आदा
गोया मेरे नाना का गला मांग रहे हो
तुम बाप से मरने की रिज़ा मांग रहे हो
अकबर तुम्हें मालूम है क्या मांग रहे हो
तुम बाप से मरने की रिज़ा मांग रहे हो
बाबा मुझे मालूम है क्या मांग रहा हूं
इक बाप से मरने की रिज़ा मांग रहा हूं
बाबा मुझे अम्मा ने भी कुछ दर्स दिया है
आदाब-ए-वफ़ा से मुझे आगाह किया है
पहले मैं मरूं आपसे, वादा ये लिया है
बस इसलिए मरने की रिज़ा मांग रहा हूं
इक बाप से मरने की रिज़ा मांग रहा हूं
बाबा मुझे मालूम है क्या मांग रहा हूं
इक बाप से मरने की रिज़ा मांग रहा हूं
हैं आप तो बाबा बिने ख़ातून-ए-क़यामत
और माँ हैं मेरी अदना सी इक पैकर-ए-इस्मत
क्या सीने में उसके नहीं कुछ जज़्बा-ए-इस्मत
मैं मादर-ए-मुज़्तर का कहा मांग रहा हूं
इक बाप से मरने की रिज़ा मांग रहा हूं
बाबा मुझे मालूम है क्या मांग रहा हूं
इक बाप से मरने की रिज़ा मांग रहा हूं
बाबा मुझे अहवाल-ए-दिलेज़ार पता है
है सख़्त बहोत मंज़िले दुशवार पता है
और दीन का मुश्किल में है सरदार पता है
यूं आप से मरने की रिज़ा मांग रहा हूं
इक बाप से मरने की रिज़ा मांग रहा हूं
बाबा मुझे मालूम है क्या मांग रहा हूं
इक बाप से मरने की रिज़ा मांग रहा हूं
मैं शायर-ए-हस्सास जिगरसोज़ हूं “खुर्शीद”
महव-ए-ग़म-ए-शब्बीर शबो-रोज़ हूं “खुर्शीद”
आलाम-ओ-मसाइब से ज़मींदोज़ हूं खुर्शीद
कशकोल में कुछ अश्क़-ए-अज़ा मांग रहा हूं
इक बाप से मरने की रिज़ा मांग रहा हूं
बाबा मुझे मालूम है क्या मांग रहा हूं
इक बाप से मरने की रिज़ा मांग रहा हूं
बाबा ………….
बाबा………….
बाबा….
इक बाप से मरने की रिज़ा मांग रहा हूं
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