दयारे ग़ौस क्या देखा मदीने की गली देखी | Laiba Fatima
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इमदाद कुन इमदाद कुन अज बन्दे ग़म आज़ाद कुन
दरे दीन-ओ-दुनिया शाद कुन या ग़ौस ए आज़म दस्तगीर
ज़माने में अगर देखी तो शान ए क़ादरी देखी
नबूवत के गुलिस्तां में विलायत की कली देखी
ह़क़ीक़त खुल गई जब सर ज़मीं बग़दाद की देखी
तजल्ली ही तजल्ली रौशनी ही रौशनी देखी
दयारे ग़ौस क्या देखा मदीने की गली देखी
शहे बग़दाद ने जो करम की इक नज़र डाली
बना सब काम उसका हो गई दूर बदहाली
मेरे ग़ौसुल वरा की शान है, क्या शान है अली
सवाली आपके दर से कभी लौटा नहीं खाली
शहंशाहों से भी बढ़कर सख़ावत आपकी देखी
इमदाद कुन इमदाद कुन अज बन्दे ग़म आज़ाद कुन
दरे दीन-ओ-दुनिया शाद कुन या ग़ौस ए आज़म दस्तगीर
मुख़ालिफ़ थी हवा दरिया में इक ऐसी लहर आई
गई दरिया में कश्ती डूब साहिल पे ख़बर आई
ज़ईफ़ा एक रोती पीटती आक़ा के घर आई
दुआ मांगी जनाव ए ग़ौस ने कश्ती उभर आई
ज़माने तूने मेरे ग़ौस की दरिया दिली देखी
निदा देगा मुनादी हश्र में यूं क़ादरीयों को
कहां है क़ादरी कर ले नज़ारा ग़ौसे आज़म का
कभी क़दमों से लिपटूंगा कभी दामन पे मचलूंगा
बता दूंगा! के यूं छुटता है बंदा ग़ौसे आज़म का
इमदाद कुन इमदाद कुन अज बन्दे ग़म आज़ाद कुन
दरे दीन-ओ-दुनिया शाद कुन या ग़ौस ए आज़म दस्तगीर
Hindi and English Lyrics
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