मोरी सुध बुध बिसरी ऐ सखियो

Mori Sudh Budh Bisri Ai Sakhiyo Lyrics in Hindi

मोरी सुध बुध बिसरी ऐ सखियो लिरिक्स
कव्वाल: ग़ुलाम फरीद साबरी और मकबूल अहमद साबरी

English Lyrics | हिन्दी

संसार की सुंदर नगरी में वलियन के राजा रहते हैं
उस देश की सज-धज क्या कहिए जिस देश में ख़्वाजा रहते हैं।

 

तिहारी प्रीत की विपदा ने हाय शाम हरी
लगाए रोग के सुध-बुध ही को दियो हमरी
जो आह की भी तो बिरहे अगन से जान जरी
यहां ये बैन है दिन-रैन प्रीत में तुमरी

मोरी सुध बुध बिसरी ऐ सखियो …

 

तिहारी प्रीत की विपदा ने हाय शाम हरी
लगाए रोग के सुध बुध ही को दियो हमरी
जो आह की भी तो बिरहे अगन से जान जरी
यहां ये बैन है दिन रैन प्रीत में तुमरी

मोरी सुध बुध बिसरी ऐ सखियो …

 

चु शम्मे सोज़ां, चु ज़र्रा हैरां
हमेशा गिरियां बा इश्क़ आबे
न नींद नैना, न अंग चैना
न आप आवै, न भेजे बतियां

मोरी सुध बुध बिसरी ऐ सखियो …

 

शबाने हिजरां, दराज चू ज़ुल्फ़
के रोज़े वसलत जो उम्र कोतह
सखी पिया को जो मैं ना देखूं
तो कैसे काटूं अंधेरी रतियां

मोरी सुध बुध बिसरी ऐ सखियो …

 

यका यक अज़ दिल दो चश्मे जादू
ब सद फरेबम ब बुर्द तस्कीं
किसे पड़ी है जो जा सुनावे
हमारे पी को हमारी बतियां

मोरी सुध बुध बिसरी ऐ सखियो …

 

मोरी सुध बुध बिसरी ऐ सखियो
मैं बोल रही ख़्वाजा ख़्वाजा…
मोरे मन मा बसो उस्मां का कुंवर
रट मोहे लगी ख़्वाजा ख़्वाजा ..

 

कर मोह पे दया या ख़्वाजा पिया
दिखला दे मोहे सुंदर मुखड़ा ..
दिन रैन पुकारे जान मोरी
वलियन के वली ख़्वाजा ख़्वाजा ..

 

पूछा न किसी ने हाल मेरा
ना राह बतायी संजर की ..
एक दर्द लिए बस्ती बस्ती
मैं कहती फिरी ख़्वाजा ख़्वाजा ..

 

जोगन हूं तोरी, रख लाज मोरी
बुलवा ले मोहे अपनी नगरी …
हर वक्त पुकारे होके दुखी
अंसुअन् की झड़ी ख़्वाजा ख़्वाजा ..

 

नय्या है भंवर में ख़्वाजा पिया
पतवार छुटे घबराए जिया ..
आ बहियां पकड़ मोहे पार लगा
मैं डूब रही ख़्वाजा ख़्वाजा ..

 

आ बहियां पकड़ मोरी पार लगा
आ बहियां पकड़ ले पार लगा
आ बहियां पकड़ ले ख़्वाजा पिया

 

कूद परी गहरे जल में, कोई नाव वाला नहीं खेवनहारो
प्यार नहीं दिर जान नहीं, कोई ऐसो नहीं मोहे देत सहारो
काम क्रोध के भंवर बसे मन लोक के लोक फिरै अतबारो
चूक मुइनुद्दीन माफ़ करो, कोई मोह से अपंग को पार उतारो.

 

बेहे समन्दर नाव लगी, बल लगत नहीं, बही जात हूं बेड़ी
मोरी लाज का लंगर टूट गया, मैं तो डूबत हूं विपदा मोपे टेढ़ी
अब के मुईनुद्दीन पार लगाओ, नहीं लोग हंसेंगे बजाए हथेली

 

आ बहियां पकड़ ले पार लगा
मैं डूब रही ख़्वाजा ख़्वाजा …

 

तू मान, बना की बात सखी
बन जायेगी बिगड़ी बात सखी
अच्छा है वजीफा देख यही
कह तू भी सखी ख़्वाजा ख़्वाजा ..

मोरी सुध बुध बिसरी ऐ सखियो … हो …..

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