Mere Khwaja Ne Aisa Karam Kar Diya Hindi

Mere Khwaja Ne Aisa Karam Kar Diya Lyrics

Qawwal : Iqbal Afzal Sabri

 

English Lyrics

हरम और दैर के कतबे पढ़े, ये किसको फ़ुरसत है
यहां हद्दे नज़र तक, सिर्फ़ उनवाने मुहब्बत़ है।

एक हसीं को देखना और देखकर सर को झुका लेना
इबादत की इबादत है ज़ियारत की ज़ियारत है

ह़रम में मैं करूं सज्दे, बुतों को मैं झुकाऊं सर
ज़रा सा वक़्त इतने काम इतनी किसको फुरसत है

 

कमली वाले का जलवा है पेश-ए- नज़र

कमली वाले का जलवा है पेश-ए- नज़र
मुझको दैरो हरम की ज़रूरत नहीं ..

 

कमली वाले का जलवा है पेश-ए- नज़र
मुझको दैरो हरम की ज़रूरत नहीं ..

हो, कमली वाले का जलवा..
कमली वाले का जलवा ..

 

जिसको ना यकीं आए अजमेर में वोह देखे

कमली वाले का जलवा..
कमली वाले का जलवा ..

 

हैदर का पूत आया, ज़हरा का जाया आया
सर पर खुदा का साया हरयाला बन्ना आया

देश अरब से आया चल के
शाहे उमम का भेष बदल के।

 

कमली वाले का जलवा..
कमली वाले का जलवा ..

 

कमली वाले का जलवा है पेश-ए- नज़र
मुझको दैरो हरम की ज़रूरत नहीं ..

मेरे ख़्वाजा ने ऐसा करम कर दिया
अब किसी के करम की ज़रूरत नहीं …

 

निस्बत़ भी कैसी चीज़ है दामाने यार से
बेफिक्र जी रहा हूं हर एक ऐतबार से।

 

मेरे ख्वाजा ने ऐसा करम कर दिया
अब किसी के करम की ज़रूरत नहीं …

 

रखी है लाज आपने हर हर मक़ाम  पर
यूं ही करम रहे मेरे ख्वाजा ग़ुलाम पर।

 

मेरे ख़्वाजा ने ऐसा करम कर दिया
अब किसी के करम की ज़रूरत नहीं …

 

अब इससे बढ़ के करम की दलील क्या होगी !
मैं डूबता हूं समुंदर उछाल देता है।

 

मेरे ख़्वाजा ने ऐसा करम कर दिया
अब किसी के करम की ज़रूरत नहीं …

 

हमें मालूम है, हम से सुनो महशर में क्या होगा?
सब उसको देखते होंगे वोह हमको देखता होगा

जहन्नुम हो के जन्नत, जो भी होगा फैसला होगा
यह क्या कम है हमारा और उनका सामना होगा

 

जन्नत के ज़िक्र से मुझे तड़पा रहा है क्यों
दिल मेरा इस ख़याल से भला बहला रहा है क्यों

हूरों मलक के हुस्न पर ललचा रहा है क्यों
ज़ाहिद तू अपनी खुल्द पे इतरा रहा है क्यों

 

सरे हश्र है, नफ़्सी नफ़्सी का आ़लम
के अब बख़्शिशों का मकाम आ रहा है

मुझे देखकर ही मोहम्मद ﷺ कहेंगे
वो देखो हमारा ग़ुलाम आ रहा है।

 

मेरे ख़्वाजा ने ऐसा करम कर दिया
अब किसी के करम की ज़रूरत नहीं …

 

इश्क़े ख्वाजा से कितना क़रीने में हूं
जैसे मैं रह़मतों के सफ़ीने में हूं

मेरे ख़्वाजा की गलियां सलामत रहे हैं
ऐसा लगता है जैसे मदीने में हूं।

 

मेरे ख़्वाजा ने ऐसा करम कर दिया
अब किसी के करम की ज़रूरत नहीं …

 

ज़िद्दी थे अपनी बात के हम भी अड़े रहे
मख़मूर हो के दर पे उन्हीं के पड़े रहे
नश्तर ख़लिश के दिल में हमारे गड़े रहे।

यूं तो मुखालिफ़ो ने बहुत ज़ोर लगाए
लेकिन हमारे नाम के झंडे गड़े रहे।

 

मेरे ख़्वाजा ने ऐसा करम कर दिया
अब किसी के करम की ज़रूरत नहीं …

 

मेरा ईमां है जब हश्र में जाऊंगा
ग़र्मी-ए-मह़शर से मैं ना घबराऊंगा,

ख्वाजा-ए-ख्वाजगां के वसीले से मैं
दामन ए मुस्तफा ﷺ में अमां पाऊंगा।

 

मेरे ख़्वाजा ने ऐसा करम कर दिया
अब किसी के करम की ज़रूरत नहीं …

 

रश्के जन्नत है ख़्वाजा की हर एक गली
जिससे फ़ैली है इस्लाम की रौशनी
चाहे शिरक़ी कहो या कहो विदअ़ती
इश्क़-ए- ख्वाजा है अब तो मेरी ज़िन्दगी।

 

मेरे ख़्वाजा ने ऐसा करम कर दिया
अब किसी के करम की ज़रूरत नहीं …

 

ख़्वाजा ने हमको साहिबे ईमान कर दिया
ख्वाजा ने हमको आ़मिल-ए-क़ुरआन कर दिया

सच्चाई की तरक़्क़ी का सामान कर दिया
कलमा पढ़ा के सब को मुसलमान कर दिया।

 

मेरे ख़्वाजा ने ऐसा करम कर दिया
अब किसी के करम की ज़रूरत नहीं …

 

क्या गरज़ मुझको आग़ाज़-ओ-अंजाम से
मैं तो वाबस्ता हूं ख्वाजा के नाम से,

मेरा इक़बाल है मैं गुनाहगार हूं
फ़िर भी ख्वाजा के दर का नमक-ख्वार हूं।

 

मेरे ख़्वाजा ने ऐसा करम कर दिया
अब किसी के करम की ज़रूरत नहीं …

 

निगाहे गर्म से मुझको ना देख ऐ दोज़ख
ख़बर भी है तुझे, किसका गुनाहगार हूं!

रह़मतुल हिन्द है ख़्वाजा सारे वलियों के वली
जिसका दादा अली, जिसका नाना अली

मैं बुरा हूं या भला ख़्वाजा का कहलाता हूं

अब देखिए क्या होता है सर-ए-ह़श्र
रह़मत में कमी है ना गुनाहों में कमी है।

 

मेरे ख़्वाजा ने ऐसा करम कर दिया
अब किसी के करम की ज़रूरत नहीं …

 

खुल्द तो खुल्द है जानता हूं,
मगर क्या बताऊं कि मैं दिल से मजबूर हूं
बाग़े जन्नत मेरा बाग़-ए- अजमेर है
मुझको बाग़े-ए-इरम की ज़रूरत नहीं।

 

बाग़े जन्नत मेरा बाग़-ए- अजमेर है
मुझको बाग़े-ए-इरम की ज़रूरत नहीं …

 

काबा ए दिल है मेरा, तेरा आस्तां
तू सलामत रहे ख्वाजा-ए-ख्वाजगां,

मैं पुजारी तेरा, तू है मेरा सनम
अब किसी भी सनम की ज़रूरत नहीं।

 

मैं पुजारी तेरा, तू है मेरा सनम
अब किसी भी सनम की ज़रूरत नहीं …

 

यह हैं इब्ने सखी, शान इनकी बड़ी
एक नज़र बस करम की हुआ चाहिए।

यह जो देने पे आएं तो क्या पूछना
फिर यहां पेश-ओ-कम की ज़रूरत नहीं ..

 

काबा ए दिल है मेरा, तेरा आस्तां
तू सलामत रहे ख्वाजा-ए-ख्वाजगां,

मैं पुजारी तेरा, तू है मेरा सनम
अब किसी भी सनम की ज़रूरत नहीं.

 

मैं पुजारी तेरा, तू है मेरा सनम
अब किसी भी सनम की ज़रूरत नहीं …

 

यह हैं इब्ने सखी, शान इनकी बड़ी
एक नज़र बस करम की हुआ चाहिए।

यह जो देने पे आएं तो क्या पूछना
फिर यहां पेश-ओ-कम की ज़रूरत नहीं ..

 

यह जो देने पे आएं तो क्या पूछना
फिर यहां पेश-ओ-कम की ज़रूरत नहीं ..

 

मेरे ख्वाजा ने ऐसा करम कर दिया
अब किसी के करम की ज़रूरत नहीं …

हो मेरे ख्वाजा ने ऐसा करम कर दिया ..
मेरे ख्वाजा ने ऐसा करम कर दिया ..

 

चार दिशा में धूम मची है
ख्वाजा पिया की आज छटी है,

हूरो मलायक झूम रहे हैं
और चौख़ट को चूम रहे हैं.

मेरे ख्वाजा का करम है ..
मेरे ख्वाजा का करम है ..
मेरे ख्वाजा का करम है ..
मेरे ख्वाजा का करम है ..

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