हक़ अदा-ओ-हक़ नुमा बग़दाद की सरकार है Lyrics

हक़ अदा-ओ-हक़ नुमा बग़दाद की सरकार है | Haq Ada o Haq Numa Baghdad Ki Sarkar Hai Manqabat Lyrics 


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हक़ अदा-ओ-हक़ नुमा बग़दाद की सरकार है

क्या तुझे बतलाऊं, क्या बग़दाद की सरकार है।

 

मर्जा-ए-अहले सफ़ा बग़दाद की सरकार है

सरबराह-ए-औलिया बग़दाद की सरकार है।

 

इत्तिबा-ए-उ़सवा-ए-ख़ैरुल वरा में उम्र भर

पैकर-ए-ख़ौफ़-ए-ख़ुदा बग़दाद की सरकार है।

 

जिसकी हक़ गोई से अहले शिर्क-ओ-बिदअ़त कांप उठे

तर्जुमां तौहीद का बग़दाद की सरकार है।

 

मेरी, तेरी हम्द में, हिर्स-ओ-ग़रज़ भी है शरीक

लाइक़-ए-हम्द-ए-ख़ुदा बग़दाद की सरकार है।

 

क़ाज़ी-उल-हाजात के दर पर रहा जो सज्दा-रेज़

‘इज्ज़ की वो इंतेहा बग़दाद की सरकार है।

 

शब की तारीकी में तन्हा दस्त-बस्ता अश्क-बार

हाज़िर-ए-बाब-ए-अता बग़दाद की सरकार है।

 

दिन को मसरूफ़-ए-‘इबादत, शाम को सरगर्म-ए-ज़िक्र

शब को महव-ए-इल्तिजा बग़दाद की सरकार है।

 

औलिया के साथ इतलाक़-ए-विलायत में शरीक

शान में सबसे जुदा बग़दाद की सरकार है।

 

इ़ल्म-ओ-हिकमत में अली मौला का सज्जादा नशीं

राज़दार-ए-हल-अता बग़दाद की सरकार है।

 

क्या नबूवत के जहानों में है ज़ात-ए-मुस्तफ़ा

फ़क़्र की दुनिया में क्या बग़दाद की सरकार है।

 

जहल की बंजर ज़मीं को जिसने जल-थल कर दिया

इल्म की ऐसी घटा बग़दाद की सरकार है।

 

क़ुदरतें पाईं मगर क़ुदरत पे इतराया नहीं

शरहे तस्लीम-ओ-रज़ा बग़दाद की सरकार है।

 

हाथ उठते थे मगर मौला की मर्ज़ी देख कर

वाक़िफ़-ए-सिर्रे दुआ बग़दाद की सरकार है।

 

“दीन को किसने किया ज़िन्दा” जब उठ्ठा ये सवाल

कह उठी ख़ल्क़-ए-ख़ुदा “बग़दाद की सरकार है”।

 

ज़ात-ए-बाक़ी पर मिटाकर अपनी फ़ानी ज़ात को

दहर में नक़्श-ए-बक़ा बग़दाद की सरकार है।

 

मम्बा-ए-हुब्बे अली सर-चश्मा-ए-मेहर-ए-अली
वारिस-ए-आल-ए-अबा बग़दाद की सरकार है

 

अंबिया को नाज़ जिस पर, औलिया को जिस पे फ़ख़्र
साहिब-ए-बख़्त-ए-रसा बग़दाद की सरकार है

 

जिसके हाथों पर हुईं ज़ाहिर करामात-ए-कसीर
हैरतों की इंतेहा बग़दाद की सरकार है।

 

अक़्ल-ए-ज़ाहिर जिस की चौख़ट पर रगड़ती है जबीं
ऐसी क़ुदरत आज़मा बग़दाद की सरकार है।

 

अब्द-ए-क़ादिर है मगर क़ादिर ने बख़्शा वो मक़ाम
मरकज़-ए-रुश्दो हुदा बग़दाद की सरकार है।

 

आज भी पाते हैं अर्बाब-ए-तलब दर-पर्दा फ़ैज़
क्या अ़ता का सिलसिला बग़दाद की सरकार है।

 

जिसकी सूरत देखने से याद आ जाए ख़ुदा
ऐसा अ़ब्द-ए-हक़ नुमा बग़दाद की सरकार है।

 

ऊंचे ऊंचों ने सर-आंखों पर लिया जिसका क़दम
वो अनोखा पेशवा बग़दाद की सरकार है।

 

जो ख़ुदा का नाम लेकर शिर्क से टकरा गया
कर्बला वाले हैं या बग़दाद की सरकार है।

 

पीर तेरा कौन है महशर में जब पूछा गया
मैंने ये बर-जस्ता कहा बग़दाद की सरकार है।

 

नक़्शबंदी, सोहरवर्दी हों के चिश्ती, सब के सब
मुक़्तदी हैं, मुक़्तदा बग़दाद की सरकार हैं।

 

वाज़ फ़रमाता रहा मिम्बर पे जो चालीस दिन
वो ख़तीब-ए-हक़-नुमा बग़दाद की सरकार है।

 

बर-सर-ए-मिम्बर तकल्लुम सुन के बोल उठ्ठे अरब
हैं अली या लब-कुशा बग़दाद की सरकार है।

 

चाहने वालों के दिल में, आंख में, इदराक में
जल्वा फ़रमा जा-बजा बग़दाद की सरकार है।

 

दिल ने पूछा कौन है वलियों से रुतबे में बड़ा
ग़ैब से आई निदा बग़दाद की सरकार है।

 

क्या बिगाड़ेगी तेरा सर मार ले दुनिया नसीर
पुश्त पर तेरी सदा बग़दाद की सरकार है।

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