मेरे दिल में इश्क़ ए हुज़ूर है लिरिक्स

मेरे दिल में इश्क़ ए हुज़ूर है कव्वाली लिरिक्स

Mere Dil Mein Ishq e Huzur hai Qawwali by Rahat Fateh Ali Khan Lyrics in Hindi

क़व्वाल: उस्ताद राहत फतेह अली खान

English Lyrics


नग़मा ए सल्ले अला विर्द ए ज़ुबां रहता है

हर घड़ी सामने रहमत का समा रहता है

जब मदीने के दर ओ बाम नज़र आते हैं

दिल ए बेताब को फिर होश कहां रहता है।

मेरे दिल में इश्क़ ए हुज़ूर है

मैं जहां में सबसे अमीर हूं

 

मेरे दिल में इश्क़ ए हुज़ूर है

 

तुझ में हूर ओ क़ुसूर रहते हैं

मैंने माना ज़रूर रहते हैं

मेरे दिल का तवाफ कर जन्नत

मेरे दिल में हुज़ूर रहते हैं।

 

मेरे दिल में इश्क़ ए हुज़ूर है

 

मेरे दिल में इश्क़ ए शह ए कौनैन की दौलत है बड़ी

हूं तो नादान मैं लेकिन मेरी क़ीमत है बड़ी

 

मेरे दिल में इश्क़ ए हुज़ूर है

मैं जहां में सबसे अमीर हूं

मुझे ताजदारी से क्या गरज़

मैं दर ए नबी का फ़क़ीर हूं।

 

न तो मेरा कोई कमाल है

न दख़ल है इसमें ग़ुरूर का

मुझे रखते हैं वोह निगाह में

ये करम है मेरे हुज़ूर का।

 

मुझे ताजदारी से क्या ग़रज़

मैं दर ए नबी का फ़क़ीर हूं।

 

मुझ पर मेरे आक़ा का एहसान बड़ा है

सरकार के मंगतों में मेरा नाम लिखा है।

 

मैं दर ए नबी का फ़क़ीर हूं।

मुझे हक़ ने बख़्शी है बरतरी

मेरी ठोकरों में सिकंदरी

ये जहां निगाहों में क्यूं जचे

मैं गदा हूं अपने हुज़ूर का।

 

मैं दर ए नबी का फ़क़ीर हूं।

 

गदा ए शाह ए अरब हूं, फ़क़ीर ए राह नहीं

फ़क़ीर वो हूं के नज़रों बादशाह नहीं।

 

मैं दर ए नबी का फ़क़ीर हूं।

 

फैले हुए हाथों को, हकारत से न देख

हर एक के आगे ये गदागर नहीं होते।

 

मैं दर ए नबी का फ़क़ीर हूं।

मुझे ताज दारी से क्या ग़रज़

मैं दर ए नबी का फ़क़ीर हूं।

 

मुझे मेहर ओ माह से हो काम क्या

तेरे नक्श-ए-पा पे मैं हूं फ़िदा

मुझे क्या रिहाई से वास्ता

तेरी ज़ुल्फ का मैं असीर हूं।

 

जुल्फें तो सभी की हैं मगर वैल्लैल नहीं हैं

इस लिए..

तेरी ज़ुल्फ का मैं असीर हूं।

 

मुझे क्या रिहाई से वास्ता

तेरी ज़ुल्फ का मैं असीर हूं।

 

ये अता है इश्क़ ए हुज़ूर की

 

बे तलब मुझको दिए जाता है, देने वाला

हाथ उठते नहीं, झोली मेरी भर जाती है

 

ये अता है इश्क़ ए हुज़ूर की

 

बिन मांगे दिया और इतना दिया

दामन में हमारे समाया नहीं

 

ये अता है इश्क़ ए हुज़ूर की

 

मुझे बे हुनर देख कर मुस्तफ़ा ने

शरफ अपनी मद्हा-सराई का बख़्शा

 

ये अ़ता है इश्क़ ए हुज़ूर की

मुझे जिसने ऐसी हयात दी

जो ना बुझ सके वोह चराग़ हूं

जो न मिट सके वो लकीर हूं।

 

मैं ग़ुलाम ए पंजतन ए पाक हूं

 

मैं ग़ुलाम ए पंजतन..मैं गुलाम ए पंजतन

 

मुझ पे कितना नियाज़ी करम हो गया

दुनिया कहने लगी पंजतन का गदा

इस घराने का जब से मैं नौकर हुआ

सब से अच्छी मेरी नौकरी हो गई।

 

मैं ग़ुलाम ए पंजतन..मैं ग़ुलाम ए पंजतन

 

परवाह किसी की नहीं, हर इक से ग़नी हूं

बावस्ता ए दामान ए रसूल ए मदनी हूं।

 

मैं ग़ुलाम ए पंजतन..मैं ग़ुलाम ए पंजतन

 

मद्दाह ए मुहम्मद ﷺ हूं अ़क़ीक़ ए यमनी हूं

मैं शैफ्ता ए आल ए रसूल ए मदनी हूं

ऐ नूर! मैं पुरनूर, उस नूर ए अली से

पंजाब का पंजाबी हूं, क़िस्मत का धनी हूं

 

मैं ग़ुलाम ए पंजतन..मैं ग़ुलाम ए पंजतन

 

मैं ग़ुलाम ए पंजतन ए पाक हूं

मैं दर ए बुतूल की ख़ाक हूं

मैं हसन हुसैन का हूं गदा

मैं सग ए जनाब ए अमीर हूं।

 

जिसे कहिए जूद ओ करम की जा

वो है दर जहां में हुज़ूर का

उसी दर से मुझको ख़ुदा मिला

उसी आसतां का फ़क़ीर हूं।

 

मैं हूं साजिद ए दर ए मुस्तफा

ये मेरे हुज़ूर की है अता

कहां उनका दर कहां मेरा सर

मैं तो इक ग़ुलाम ए हकीर हूं।

 

मेरे दिल में इश्क़ ए हुज़ूर है

मैं जहां में सबसे अमीर हूं।


Hindi And English lyrics

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