तेरे बग़ैर हुसैन | Tere Baghair Hussain Lyrics

तेरे बग़ैर हुसैन 

Tere Baghair Hussain Lyrics

 

मौला हुसैन.. मौला हुसैन..
मौला हुसैन.. मौला हुसैन..

 

फ़ख़्र-ए-किबरिया हुसैन
शाह-ए-कर्बला हुसैन
दीन की बक़ा हुसैन
जान-ए-ला-इलाहा हुसैन

 

न दीन कुछ है न दुनिया
तेरे बग़ैर हुसैन
हर एक शैय है ख़सारा
तेरे बग़ैर हुसैन।

तेरे बग़ैर हुसैन
तेरे बग़ैर हुसैन

 

कहा बतूल ने ऐ जाने फ़ातिमा ज़हरा
है आज तीसरी शाबां ज़मीन पर आजा
ना होगा फ़ज्र् का सजदा..तेरे बग़ैर हुसैन।

तेरे बग़ैर हुसैन
तेरे बग़ैर हुसैन

 

न दीन कुछ है न दुनिया
तेरे बग़ैर हुसैन

तेरे बग़ैर हुसैन
तेरे बग़ैर हुसैन

 

मोहम्मद-ए-अरबी जिस तरहं अली के बग़ैर
उसी तरहं से वो बेचैन हैं अख़ी के बग़ैर
हसन का दिल नहीं लगता..तेरे बग़ैर हुसैन।

तेरे बग़ैर हुसैन
तेरे बग़ैर हुसैन

 

न दीन कुछ है न दुनिया
तेरे बग़ैर हुसैन

तेरे बग़ैर हुसैन
तेरे बग़ैर हुसैन

 

तेरे ही फ़ाक़ों से रोजे़ की शान बढ़ती है
नमाज़ खुद तेरे पीछे नमाज़ पढ़ती है
कहीं मिला नहीं सजदा..तेरे बग़ैर हुसैन।

तेरे बग़ैर हुसैन
तेरे बग़ैर हुसैन

 

न दीन कुछ है न दुनिया
तेरे बग़ैर हुसैन

तेरे बग़ैर हुसैन
तेरे बग़ैर हुसैन

 

मेरी नज़र में बड़े बदनसीब हाजी थे
जो तुझको छोड़ के काबे के गिर्द फिरते रहे
तबाफ़-ए-काबा भला क्या..तेरे बग़ैर हुसैन।

तेरे बग़ैर हुसैन
तेरे बग़ैर हुसैन

 

ना दीन कुछ है ना दुनिया
तेरे बग़ैर हुसैन

तेरे बग़ैर हुसैन
तेरे बग़ैर हुसैन

 

ज़मीं हरम की तुझे नाज़ से बुलाती है
सदा ये ख़ाना-ए-काबा से अब भी आती है
किसी का हज नहीं होगा..तेरे बग़ैर हुसैन।

तेरे बग़ैर हुसैन
तेरे बग़ैर हुसैन

 

ना दीन कुछ है ना दुनिया
तेरे बग़ैर हुसैन

तेरे बग़ैर हुसैन
तेरे बग़ैर हुसैन

 

सहाबियों ने कहा आख़िरी करम कर दे
तू अपने हाथ से हम सबके सर कलम कर दे
तेरी क़सम नहीं जीना..तेरे बग़ैर हुसैन।

तेरे बग़ैर हुसैन
तेरे बग़ैर हुसैन

 

ना दीन कुछ है ना दुनिया
तेरे बग़ैर हुसैन
तेरे बग़ैर हुसैन

 

बता रहा है मुसलसल सुकूत उम्मत का
किसी के पास नहीं था जबाव बैअ़त का
तेरी बहन के अलावा..तेरे बग़ैर हुसैन।

तेरे बग़ैर हुसैन
तेरे बग़ैर हुसैन

 

ना दीन कुछ है ना दुनिया
तेरे बग़ैर हुसैन

तेरे बग़ैर हुसैन
तेरे बग़ैर हुसैन

 

या हुसैन……

 

ख़तीब-ए-नोक-ए-सिना को नज़र में रक्खा है
ये अल-किताब में आया शहीद ज़िन्दा है
है बे-दलील ये दावा..तेरे बग़ैर हुसैन।

तेरे बग़ैर हुसैन
तेरे बग़ैर हुसैन

 

ना दीन कुछ है ना दुनिया
तेरे बग़ैर हुसैन

तेरे बग़ैर हुसैन
तेरे बग़ैर हुसैन

 

गवाह राहिब-ओ-फ़ितरुस को पहले बनवाया
नबी ने फिर ये तकल्लुम है सबको समझाया
ख़ुदा भी कुछ नहीं देता..तेरे बग़ैर हुसैन।

तेरे बग़ैर हुसैन
तेरे बग़ैर हुसैन

 

ना दीन कुछ है ना दुनिया
तेरे बग़ैर हुसैन

तेरे बग़ैर हुसैन
तेरे बग़ैर हुसैन

 

मौला हुसैन – मौला हुसैन
मौला हुसैन – मौला हुसैन

 

Recited by: Mir Hasan Mir
Poet: Janab Mir Takallum

 

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