गौस का दामन ना छोड़ेंगे | Manqabat Lyrics In Hindi

ग़ौस का दामन ना छोड़ेंगे | Manqabat Lyrics In Hindi

Manqabat Khwan: Ghulam Mustafa Qadri


English Lyrics


छूटती है तो छोटे दुनिया
ग़ौस का दामन ना छोड़ेंगे

 

अपने गले में ग़ौस का पट्टा
ग़ौस का दामन ना छोड़ेंगे

 

मेरे ग़ौस पिया जीलानी
मेरे महबूब-ए-सुब्हानी

 

मरहबा या ग़ौसे आज़म
मरहबा या ग़ौसे आज़म

 

या पीरे पीरां, या शाहे जीलां

 

मेरे ग़ौस पिया जीलानी
मेरे महबूब-ए-सुब्हानी

 

ग़ौस के दर पर उम्र गुज़ारी
ग़ौस के दर के हम हैं भिकारी

 

इस खूंटे से खुद को बांधा
ग़ौस का दामन ना छोड़ेंगे

 

मेरे ग़ौस पिया जीलानी
मेरे महबूब-ए-सुब्हानी

 

वलियों ने दी है उनको सलामी
अबदालों ने की है ग़ुलामी

 

ऊंचा रहेगा उनका झंडा
ग़ौस का दामन ना छोड़ेंगे

 

मेरे ग़ौस पिया जीलानी
मेरे महबूब-ए-सुब्हानी

 

मरहबा या ग़ौसे आज़म
मरहबा या ग़ौसे आज़म

 

या पीरे पीरां, या शाहे जीलां

 

मेरे ग़ौस पिया जीलानी
मेरे महबूब-ए-सुब्हानी

 

ग़ौस का दामन कैसे छोड़ें
जिस्म-ओ-रूह का नाता उनसे

 

उनसे ठहरा दीन का रिश्ता
ग़ौस का दामन ना छोड़ेंगे

 

मेरे ग़ौस पिया जीलानी
मेरे महबूब-ए-सुब्हानी

 

उनके हाथ में हाथ दिया है
खुद को उजागर बेच दिया है

 

अब ना कभी छोड़ेंगे वल्लाह
ग़ौस का दामन ना छोड़ेंगे

 

मेरे ग़ौस पिया जीलानी
मेरे महबूब-ए-सुब्हानी

 

मरहबा या ग़ौसे आज़म
मरहबा या ग़ौसे आज़म

 

या पीरे पीरां, या शाहे जीलां

 

मेरे ग़ौस पिया जीलानी
मेरे महबूब-ए-सुब्हानी


ग़ौस का दामन ना छोड़ेंगे


गौस का दामन ना छोड़ेंगे लिरिक्स हिन्दी में

गौस का दामन ना छोड़ेंगे मनक़बत हिन्दी में


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