Mere Sarkar Ki Aamad Hui Hai
मेरे सरकार की आमद हुई है
अरब से शाम तक जो रौशनी है
मेरे सरकार की आमद हुई है
हलीमा बी चलीं आक़ा को लेकर
अजब तेजी में उनकी ऊंटनी है
महल भी झुक के देते हैं सलामी
हलीमा बी की ऐसी झोपड़ी है
बशर की बात क्या दुनिया की हर शै
नबी की नात सुनकर झूमती है
नबी की नात के आगे ग़ज़ल भी
अदब से हाथ को बांधे खड़ी है
मग़्ज़ फूलों के रस को मुंह में रखकर
दुरुद-ए-पाक उन पर पढ़ रही है
लगा मुंह में घुला है शहद-ए-नायाब
बो ज़िक्र-ए-मुस्तफ़ा की चाशनी है
कोई कह दे के चल शहर ए नबी को
मदीने से इजाज़त मिल गई है
हैं सिद्दीक़-ओ-उमर पहलू में उनके
नबी से कितनी गहरी दोस्ती है
मुनाफ़िक़ तो मुनाफ़िक़ है ज़मीं भी
उमर का नाम सुनकर कांपती है
तेरे दर की गदाई मेरे आक़ा
जहां की बादशाही से भली है
नबी के ज़िक्र की ये बरकतें हैं
मेरी सांसों में खुश्बू सी बसी है
नबी से इश्क़ तो सबको है लेकिन
जुदा सबसे बिलाली आशिक़ी है
है जिसके दिल में ग़म इब्ने अली का
ज़माने में वो ही सबसे धनी है
हम इस निस्बत पे कुर्बां क्यूं ना जाएं
हमारा ग़ौसे आज़म फ़ातमी है
फ़ना के बाद हम ज़िन्दा रहेंगे
हमारे दिल में साबिर कलियरी है
जिसे सब मोजज़ा आक़ा का बोलें
वोही अहमद रज़ा खां क़ादरी है
सुनो तो बस्ती बस्ती करिया करिया
यही आवाज़ हरसू गूंजती है
जहांने सुन्नियत के दिल की धड़कन
मेरा अख़्तर रज़ा खां अज़हरी है
Naat Khwan: Asad Iqbal Kalkattavi
Mere Sarkar Ki Aamad Hui Hai Naat Lyrics Hindi
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